3.Best Hindi moral stories | True family stories in Hindi

True family stories in Hindi | Best Hindi moral stories | शार्ट मोरल स्टोरी इन हिंदी

2.Best Hindi moral stories | True family stories in Hindi
Best Hindi moral stories | True family stories in Hindi

कहानी का शीर्षक है :-  जीते हैं शान से (Final) – Read first- Part-1

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…सबसे पहले ये ख़ुशी रुक्मिनी के साथ शेयर करना चाहता था। अपने पेरेंट्स को रुक्मिनी के बारे में सबकुछ बता देना चाहता था। शाम को उसके पापा घर आए। घबराते-घबराते, डर के मारे चार की जगह सात रोटियां हजम कर जाने के बाद साहिल बोला, “पापा एक बात करना चाहता था। ” मिस्टर मल्होत्रा बोले, “रुक्मिनी? सब पता है मुझे। उसके पापा प्रमोद दोस्त है मेरा।

डोंट वरी बेटा अगले हफ़्ते बात चलाता हूं। रुक्मिनी राज़ी हुई तो सर्दियों में बहू विदा करके लाएंगे।” साहिल मल्होत्रा की ज़िंदगी का सबसे बड़ा सपना पूरा हो चुका था। उसका आईआईटी में दाखिलाहो गया था। मोटी रक़म की नौकरी अब निश्चित हो गई थी और दूसरा सपना ‘रुक्मिनी से शादी! अब सच होने का मन बना रहा था।

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उसके पापा मिस्टर मल्होत्रा आज रुक्मिनी के पापा प्रमोद चौहान से मिलने गए थे, बस आने ही वाले थे कि दरवाज़े पर घंटी बजी। साहिल के पापा नहीं थे, एक पुलिस इंस्पेक्टर था। बोला, “कई हफ़्तों पहले एक रात एक्सीडेंट हुआ था याद शहर के बाहर। उसके बारे में बात करने आया हूं। ” आप चाहें तो इसे भगवान की लाठी समझ सकते हैं।

वो लड़का जिसे ज़िंदगी में हमेशा सबकुछ आसानी से मिला था। जिसके सरकारी अफ़सर पिता ने हमेशा अपने बच्चों के सामने एक आसान सजी-सजाई ज़िंदगी परोसकर रखी थीं, उस लड़के के सामने एक पुलिसवाला खड़ा था, जो उसे उस रात की घटना की याद दिला रहा था।

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साहिल के पापा भी कुछ देर में आ गए। सरकारी सिस्टम उनकी जेब में रहता था, सो इंस्पेक्टर से बेहद गुस्सा हुए। बोले, “क्या बकवास है। तू जानता है किसके घर में खड़ा है? और वैसे भी जब मेरा कुछ नुक़सान नहीं हुआ, तो जांच किस बात की है? क्या शहर में क्राइम सारा ख़त्म हो गया है कि तुम लोग अगर क्रिकेट की बॉल भी खोएगी तो उसका एफ़आईआर लिखने को तैयार हो।

अभी मिल के आया हूं मैं आईजी साहब से। दोस्त हैं मेंरे। रुक जा फ़ोन लगाता हूं। ” आईजी साहब का फ़ोन बिजी था। इंस्पेक्टर भी अक्खड़ था। बोला, “शिकायत आई है सर बयान तो लेना ही पड़ेगा। जितने बड़े अधिकारी को आप फ़ोन कर लें, कोई मुझे बयान लेने से नहीं रोकेगा। ये तो ड्यूटी है। ”

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साहिल डरते-डरते इंस्पेक्टर के सामने सोफ़े पर बैठ गया। मिस्टर मल्होत्रा अपने कमरे में जाते-जाते साहिल से बोले, “साहिल तू डरना मत मैंने प्रमोद चौहान से बात कर ली है। वो आज शाम रुक्मिनी से बात करेंगे। जब आईजी का दामाद बन जाएगा, तो यही इंस्पेक्टर, जो अभी मुंह लग रहा है, सलाम ठोकेगा। और सुन ले तू इंस्पेक्टर, मेरा बेटा कुछ हफ्तों में आईआईटी जा रहा है, जो पेपरवर्क करना है अभी कर ले। मुझे बाद में कोई प्रॉब्लम नहीं चाहिए। ” इंस्पेक्टर बोला, “परेशान मत होइए।

ये केस दर्ज होते ही आपके बेटे का क्रिमिनल रिकॉर्ड हो जाएगा इंजीनियरिंग स्कूल क्या म्यूनिसिपैलिटी में भी दाख़िला नहीं हो पाएगा। गवाह हैं हमारे पास।” मल्होत्रा साहब पलटकर आए। आईजी साहब को एक और बार बदहवासी में फ़ोन मिलाते हुए बोले, “गवाह? लाओ उसे यहां। ” इंस्पेक्टर ने फ़ोन उठाया किसी को फ़ोन किया और बोला, “हां आप, आ जाइए। ”

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कुछ देर में दरवाज़े पर घंटी बजी। साहिल मल्होत्रा का आईआईटी जाने का ख्वाब एक पल में टूट गया था। और अब दरवाज़े पर घंटी बजाता वही आदमी था, जिसकी कम्पलेंट ने साहिल का कैरियर बर्बाद कर दिया था। दरवाज़ा ख़ुला मिस्टर मल्होत्रा की दहलीज़ पर वो अजीब प्राणी खड़ा था जिससे उन्होंने बरसों पहले सारे रिश्ते तोड़ दिए थे। एक आम इंसान क्रीम रंग की क़मीज़ और नेवी ब्लू पैंट पहने एक दुबला-पतला आदमी।

इंस्पेक्टर ने उसे बिठाया और बोला, “यही है साहिल मल्होत्रा। ” कांपते हुए हाथों से उस आदमी ने नीली पैंट की जेब से कुछ निकाला। बोला, “ये रही आपकी चीज़, आपकी महंगी घड़ी। उस रात सड़क पर मिली थी। मेरी दो बेटियां कोचिंग कॉलेज के हॉस्टल से टीचर की कार में लिफ्ट लेकर मेरे पास आ रही थीं। उस रात छोटी बेटी ने आपका नंबर अपनी कॉपी के एक काग़ज़ पर लिखकर रख लिया था। बेटा हमने तो आपकी चीज़ लौटा दी।

अब हमारी भी एक चीज़ लौटा दो, जो उस रात खो गई थी। हमारी बेटी की जान। तीन साल से दोनों कॉम्पिटिटिव एग्ज़ाम की तैयारी कर रही थी। कहती थी पापा आपको दहेज नहीं देने देंगे। बड़ी बेटी डॉक्टर बनना चाहती थी। छोटी इंजीनियर।

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जब बड़ी की सांस रुक गई, तब भी उसके हाथ में ब्राउन पेपर की जिल्द चढ़ी कॉम्पिटिशन की किताब थी। आपके पिताजी तो शहरभर के लाइसेंस देते हैं। इन्हीं के जैसे विभाग से हिंदुस्तान भर में घूस लेकर ड्राइविंग लाइसेंस दिए जाते हैं, जो जेब में रखकर अनाड़ी ड्राइवर हर दिन हज़ारों लोगों की जाने लेते हैं। आपने सिर्फ़ एक रेड लाइट जंप की थी बेटा। मेरी ज़िंदगी का तो चिराग ही बुझ गया। आपने तो सिर्फ़ गाड़ी में झांककर, (सबकुछ ठीक है’, ये झूठ कहा था बेटा।

लेकिन ये मेरी ज़िंदगी का सच बन गया। जब आप लोग गाड़ी चलाते वक़्त फ़ोन पर बात करते हैं, जब लड़के-लड़कियां छेड़छाड़ कर एसएमएस भेजते हैं, ट्रैफिक का नियम तोड़ते हैं, तो मेरी बच्ची जैसे हज़ारों मासूम लोग आपकी एक पल की बेवक़ूफ़ी के निशाने पर होते हैं। आपका एक पल का मज़ाक़ हमारी ज़िंदगी भर की चीख़ बन जाता है।

वो तो भगवान के घर थोड़ा सा न्याय है बेटा। आप अब ज़िंदगी में किसी भी कॉम्पिटिशन में नहीं बैठ पाएंगे। कोई सरकारी नौकरी नहीं कर पाएंगे। मेरी छोटी बेटी आईआईटी में निकल गई है और हां कोर्ट में मेरी बेटी के साथ, सबसे बड़ी गवाह बनकर खड़ी होगी, आपकी

दोस्त रुक्मिनी चौहान। ”बस इतनी सी थी यह Hindi Kahani …

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यह था इस Heart touching (short stories) Hindi Kahani का आखरी हिस्सा।

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