True breakup sad love stories in Hindi 2021

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True breackup sad love stories in Hindi 2021
True breakup sad love stories in Hindi 2021

इस कहानी के पहले 2 भाग को पढ़ें, लिंक है ।

कहानी का शीर्षक है-  छः फेरे–पार्ट 2
नम्नता याद है आपको? वही शुक्ला अंकल की बेटी, डिबेटिंग की चैंपियन, मेरी पड़ोसन जो दीवाली में पटाख़े जलाने में ज़रा भी नहीं घबराती थी? वही नम्नता जिसे मैंने बिना जताए प्यार किया और जो दीवाली के दो दिन बाद शादी करके याद शहर छोड़कर जा रही थी… वही नप्नता जिसने मेरे साथ घर में सातवां फेरा लिया था। मैं फिर उसी नम्नता के शहर… अपने शहर… याद शहर में था।
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मां ने ख़ूब ख़ातिर की। घी में सने परांठे, चीनी घुली लस्सी, ढेरों मिठाइयां… मां ने तो जैसे मुझे मोटा करने के कॉम्पिटिशन में हिस्सा ले लिया था। दुनिया भर की बातें हो रही थीं। मां-पापा महीनों की ख़बर झट से सुन लेना चाहते थे। और क्यों ना हो, मैं उनका नॉन-रेजिडेंट बेटा जो बन गया था। बस एक बात थी जिसे कोई नहीं कर रहा था… जो मैं जानना चाह रहा था, और नहीं
भी…  के बारे में। उसकी शादी के बारे में, उसके हस्बैंड के बारे में। कैसी होगी वो? मुझे याद करती होगी वो? मैंने आख़िरकार मां से पूछ ही लिया, “नम्नता कैसी है?”Sad love stories in Hindi
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मां ने कहा, “खाना अभी खाओगे या बाद में?” ये चुप्पी बड़ी अजीब थी। वही नम्नता जिसके बारे में बात करते मां थकती नहीं थी, उसके बारे में बात करने को तैयार नहीं थी? ऐसा क्या हो गया था?
अब मेरे लिए वो याद शहर, जिसमें मैं बड़ा हुआ, जिसकी गलियों में मैंने क्रिकेट खेला और गुलेल से शीशे तोड़े, जहां शाम को चाटवाले के ठेले का इंतज़ार किया, जहां आंगन में पढ़ाई की, लड़ाई की… वो याद शहर तकलीफ़ का शहर बनकर रह गया था।
बिछड़कर मिलकर फिर बिछड़ने का शहर। प्यार छुपाने, प्यार जताने, और फिर भी कुछ ना कह पाने का शहर। मैंने कहा, “मैं नम्नता के घर जा रहा हूं। ” कमरे में चुप्पी छा गई। मम्मी ने कहा, “कहां जाओगे बेटा? पता नहीं वो लोग होंगे भी कि नहीं।”Sad love stories in Hindi
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मैं उन्हें अनसुना करता हुआ नम्रता के दरवाज़े पर पहुंच गया। शुक्ला अंकल ने दरबाज़ा खोला। और अगले पल में क्या हुआ, मुझे कुछ समझ ही नहीं आया। उन्होंने मुझसे चिल्लाकर कहा, “निकल जाओ यहां से। तुमने हमारी ज़िंदगी बर्बाद कर दी है।” निकल जाओ घर से? शुक्ला अंकल मुझे अपने घर से निकल जाने को कह रहे थे? वही शुक्ला अंकल जो बचपन में मेरे लिए घोड़ा बनते थे? मेरे साथ कैरम खेलते थे और ट्रिग्नोमेट्री के कठिन सवाल सौल्व करना सिखाते थे? वही शुक्ला अंकल मुझे घर से निकल जाने के लिए कह रहे थे?Sad love stories in Hindi
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मुझे समझ ही नहीं आया कि आख़िर हुआ क्या था। वो इतने गुस्से में थे कि शायद उनका ब्लडप्रेशर बढ़ गया था। सहारा लेकर दरवाज़े के पास एक कुसी पर बैठ गए। मैं आगे बढ़ा, अपना हाथ उनके कंधे पर रखा और कहा, “अंकल आप ठीक हैं?” उन्होंने मेरा हाथ झटक दिया। कुछ देर ख़ामोश रहे, फिर बोले, “तुमने मुझे बताया क्यों नहीं?” मैंने कहा, “क्या अंकल?” उन्होंने कहा, “यही कि तुम दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे। ” मैं घबरा गया। उन्हें ये सब कैसे पता था?Sad love stories in Hindi
शुक्ला अंकल ने ऐसे देखा मुझे कि जैसे बरसों की तकलीफ़ उस एक नज़र में सिमट आई हो। बोले, “तुम्हें ये जानकर ख़ुशी होगी कि तुम्हारे जाने के एक दिन बाद, अपनी शादी से एक दिन पहले मेरी बेटी ने शादी से इंकार कर दिया। बस यूं ही। एक सैकंड में। जैसे किसी का मूड बदल जाए कि चाय नहीं पीनी। जैसे कोई बोल दे कि नहीं, मुझे बाज़ार नहीं जाना। एक सैकंड में मेरी बेटी ने मुझे बाज़ार में लाकर खड़ा कर दिया।
क्या-क्या सपने नहीं देखे थे हमने। सोचा था, ऐसा करेंगे, वैसा करेंगे ताकि किसी चौज़ की कमी ना रह जाए। फ़िक्स्ड डिपॉजिट तोड़े थे। पीएफ़ के अगेंस्ट लोन लिया था। उसकी मां ने अपनी शादी के गहने तुड़वाकर अपनी बेटी के लिए ज़ेवर बनवाए थे। उसी बेटी ने, जिसने एक मिनट में कह दिया कि वो शादी नहीं करना चाहती क्योंकि वो एक झूठ नहीं जी सकती… क्योंकि वो तुमसे प्यार करती है और तुम उससे। मैं धप्प से सोफ़े पर बैठ गया। मेरे कारण नप्नता ने अपनी शादी तोड़ दी थी? इतना ख़ुदग़र्ज़ हो गया था मैं? ”Sad love stories in Hindi
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मैंने कहा, “अंकल तो फिर वो…” “तो फिर वो तुम्हारे पास क्यों नहीं आई, यही पूछना चाहते हो ना? क्योंकि मैंने उसे अपने सिर की क़सम दी थी और कहा था कि अगर हममें से कोई भी उस आदमी से मिलेगा जिसने हमारी ज़िंदगी बर्बाद की, तो मेरा मरा हुआ मुंह देखेगा। वो घर छोड़कर चली गई। मेरी वो बच्ची जो कभी मुझसे पूछे बिना बाज़ार एक दुपट्टा तक ख़रीदने नहीं जाती थी, उसको तुमने इतनी हिम्मत दे दी कि वो घर ही छोड़कर चली गई। तीन महीने में एक बार चिट्ठी भेज देती है कि ज़िंदा है। ये नहीं जानती कि उसके मां-बाप कबके मर चुके हैं।”
खेल-खेल में हम दिल लगा तो लेते हैं लेकिन ये नहीं समझते कि इस मुल्क में दिल का खेल सिर्फ़ दो लोगों के बीच नहीं होता। कितनी ज़िंदगियां जुड़ी रहती हैं इन दो ज़िंदगियों से। कॉलेज की कैंटीन में, किसी रिश्तेदार की शादी में मिले लड़का-लड़की कितने चाचाओं, मामाओं, भाभियों को एक साथ जोड़ देते हैं और जब दिल टूटते हैं तो ये सारे तार उधड़ते चले जाते हैं।Sad love stories in Hindi

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नम्नता से प्यार किया था। उससे रिश्ता नहीं बना पाया था। ये मेरी निजी तकलीफ़ थी। लेकिन वो उस प्यार के कारण इतना बड़ा क़दम उठा सकती थी, और उसका उसके परिवार पर इतना गहरा असर पड़ सकता था, ये मैं सोच भी नहीं सकता था। मैं शर्मिंदगी के एक दलदल में घुसा जा रहा था। कितनी तकलीफ़ दे दी थी मैंने इस परिवार को। शुक्ला अंकल बैठे रहे, वहीं दरवाज़े के पास, जैसे कोई हारा हुआ सिपाही अपने दुश्मन को अकेला पाकर मारने चला हो, लेकिन फिर निढाल, अकेला महसूस करके उसी दुश्मन को अपनी तकलीफ़ का क़िस्सा सुनाने लगा हो जिसने वो तकलीफ़ दी थी।
ज़मीन को देखते हुए बोले, “बता देते तुमलोग। ख़ुशी-ख़ुशी तुम्हारी शादी कर देता। तुम्हारे पिता और मैं तीस साल के दोस्त हैं। इस रिश्ते से अच्छा और कौन-सा रिश्ता होता? अब वो मुझे देखते हैं, मिलते हैं, बाक़ी सारी बातें करते हैं बस इस बात के सिवा। और वही क्यों, सारा मोहल्ला अपने घरों में गुपचुप अपनी डाइनिंग टेबल पर बैठकर बस यही बात करता है। मेरी खिल्ली उड़ाता है, मुझे बेचारा कहता है।
पर कोई ये नहीं पूछता कि मैं कैसा हूं? जैसे आप किसी से मिल रहे हों जिसके सीने पर बड़ा गहरा ख़ून से सना घाव हो और आप उससे पूछें, आज गर्मी बहुत है ना? मज़ाक़ बनाकर रख दिया है यार तुम लोगों ने मेरा। ” मैं वहीं ज़मीन पर बैठ गया और कहा, “अंकल मैं माफ़ी चाहता हूं। मैं बेहद शर्मिंदा हूं। मैं सोच भी नहीं सकता था कि नम्नता ऐसी बेवकूफी करेगी। मैं तो सोच रहा था, उसकी शादी हो गई होगी। वो अपने पति के साथ होगी, ख़ुश होगी। उसकी ख़ुशी के अलावा कुछ नहीं चाहा मैंने। लेकिन अब मैं वापस आ गया हूं अंकल। दिखाइए जरा नम्रता की चिट्ठियां। किस शहर में रहती है वो? चलिए, मैं और आप उसको ढूंढ़कर लाएंगे। मैं इस घर की हंसी फिर वापस लाऊंगा।”Sad love stories in Hindi
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मैं और शुक्ला अंकल स्टेशन पर थे। मैं उनके लिए कुल्हड़ में चाय लाया। फिर जाकर दो स्पोर्ट्स मैगज़ींस ख़रीद लाया। नप्नता ने बताया था मुझे कि उसके पापा क्रिकेट के बड़े शौकीन थे। ज़रूर सरप्राइज़्ड हुए होंगे मेरे ऐसा करने पर, लेकिन दिखाया नहीं। वो अब भी मुझसे थोड़े उखड़े-उखड़े थे, जैसे अपनी ख़ुशियों के कातिल के साथ ही अपनी ख़ुशियां ढूंढ़ने जा रहे हों। मेरे साथ चलने के लिए मान गए थे, यही ग़नीमत थी। शायद इसके अलावा उनके पास कोई चारा भी नहीं था।
एक घंटे बाद हम अपने आठ घंटे के सफ़र पर निकल चुके थे। मैं खिड़की के बाहर देख रहा था। शुक्ला अंकल ऊंघ रहे थे। ज़िंदगी में पहली बार मैं भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि वो मिल जाए।
ट्रेन हवा को चीरती हुई आगे चली जा रही थी और मैं यादों में तैरता हुआ पीछे। कितनी मुश्किलों के बाद हम निकल पाए थे उस सफ़र पर। शुक्ला अंकल के गुस्से ने उन्हें आजतक अपनी बेटी से कोई भी नाता नहीं रखने दिया था। डेढ़ घंटे मैंने उन्हें समझाया था उस दिन, और फिर तीन घंटे अपने घरवालों को समझाया था। उनको तो कुछ पता ही नहीं था। मां बहुत रोई थी। बोलीं, बेटा नम्रता से अच्छी बहू कहां मिलती इस घर को? तूने एक बार कहकर तो देखा होता।
एक बार कहकर तो देखा होता… यही कहा था नम्रता ने मुझसे। ग़लती मेरी थी। मैं भूल गया था कि लम्हा-लम्हा जोड़कर बनती है ज़िंदगी, और इन लम्हों की कड़ी में बस एक लम्हा ना पिरोया जाए तो सारे लम्हे बिखर जाते हैं। नम्रता से प्यार करके भी प्यार ना जताना शायद मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल थी, लेकिन वही मां जो नम्रता को अपनी बहू ना बना पाने पर अफ़सोस जता रही थी, वो ये भी
कह रही थी कि अब बहुत देर हो चुकी है।Sad love stories in Hindi
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जिसकी शादी ढूट गई हो उसको अक्सर एक अलग निगाह से देखते हैं हमलोग, और जिसने अपनी शादी ख़ुद तोड़ दी हो, घर छोड़कर चली गई हो, उसका चरित्र तो वो काली दीवार समझ लिया जाता है जिसमें लांछन की चौक से कुछ भी लिखा जा सकता है। “गलती शायद मेरी ही थी।” कुल्हड़ से चाय की एक चुस्की लेते हुए शुक्ला अंकल बोले, “मैंने ही उसे इतना आज़ादख़्याल बना दिया था।”
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सच था ये। नम्रता जैसी लड़की मैंने आजतक नहीं देखी। दिल की इतनी साफ़। अपने दिल की सुननेवाली।और उसी आज़ादख़्याल लड़की को ढूंढ़ने हम आज जा रहे थे। शुक्ला अंकल अपनी
बेटी को, और मैं अपनी पत्नी को। आठ घंटे बाद हम दूर उस शहर में उतरे जहां से नप्नता अपने पापा को चिट्ठियां भेजा करती थी। हमें नहीं पता था, वो कहां है। बस इतना पता था कि वो किसी अख़बार में काम करती है।Sad love stories in Hindi
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मैंने रेलवे स्टेशन पर सारे अख़बार ख़रीद लिए। अपनी-अपनी अटेचियां अपने बगल में रखकर, हम देर तक सारे पन्ने तलाशते रहे और क़रीब तीन मिनट बाद नम्रता एक बार फिर मेरे सामने थी। अख़बार के नवें पन्ने से झांकती हुई। एगनी आंट कॉलम लिखती थी वो। लोगों की मुश्किलें दूर करती थी। हम भी एक मुश्किल लेकर आए थे। उम्मीद थी, उसे भी दूर कर देगी।
आनन-फानन हम अख़बार के दफ़्तर पहुंचे। पता चला कि वो घर जा चुकी थी। रिसेप्शनिस्ट से बड़ी मिन्नते कीं। शुक्ला अंकल की उम्र और अपने लंबे सफ़र की दुहाई दी और आख़िरकार दो अनाड़ी लेकिन ज़िद्दी जासूसों की तरह हमने नम्रता का पता मालूम करलिया।Sad love stories in Hindi
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ना रिक्शेवाले से मोलभाव किया, ना पानवाले से रास्ता पूछा ना ही एक-दूसरे से बात की। पौन घंटे बाद हम नम्रता के दरवाज़े पर खड़े थे। मैंने देखा कि शुक्ला अंकल के हाथ कांप रहे थे। मैंने घंटी बजाई। नम्रता ने दरवाज़ा खोला। कुछ देर बिना कुछ कहे देखती रही। फिर ‘पलटकर अंदर चली गई। पंद्रह मिनट हम सोफे पर बैठे रहे, मेहमानों की तरह। सादा, लेकिन ख़ूबसूरत था उसका घर। सामने एक मेज पर अच्छे दिनों की, नम्नता और उसके मम्मी-पापा की एक फ्रेम्ड तस्वीर। अपर मैं पागल नहीं होता तो ऐसा ही हमारा घर होता। नप्नता कमरे से बाहर आई तो उसकी आंखें रोई हुई थीं।
बोली, “अगर आप दोनों मुझे वापस लेने आए हैं तो वापस चले जाइए। पापा, आपने मुझे दिमाग से नहीं, दिल से सोचना सिखाया। हिम्मत दी। और जब मैंने उस हिम्मत की डोर आगे बढ़कर थामने की कोशिश की तो आपने मुझे पीछे रोक लिया। “और तुप,” वो मेरी आंखों में देखकर बोली, “तुमने मुझे ढेर सारे सपने दिए, और एक दिन अचानक बिना कुछ कहे याद शहर छोड़कर चले गए। आप दोनों ने ज़िंदगी से समझौता कर लिया, लेकिन मैं ख़ुद से समझौता नहीं कर सकती थी। अच्छा हुआ वक्त्त रहे जाग गई”
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उसी समय अंदर से एक छोटी-सी लड़की बाहर आई और बोली, “मम्मी चलो, मैं रेडी हूं।” चार ज़िंदगियां एक कमरे में खड़ी थीं, और रिश्ते, रास्ते धुंधले से दिख रहे थे। कौन थी वो लड़की जो नम्रता को मां कह रही थी? “कौन है ये बच्ची, यही सोच रहे होंगे ना आप दोनों? चौंकिए मत, और अंदाज़ा मत लगाइए। ये मेरी बेटी है, शुभ्रा। इसके मां-बाप ने इसे शादी के पहले जन्म दिया और फिर
किसी अनाथाश्रम के सामने छोड़ दिया। इसे एक मां की ज़रूरत थी, और मुझे एक ज़िंदगी की। इसने मुझे हिम्मत दी है। फिर से जीना सिखाया है।”
मैं और शुक्ला अंकल एक-दूसरे को देखने लगे। समझ ही नहीं आया कि क्या कहें। शुक्ला अंकल की आंखों में आंसू आ गए। बोले, “बेटी, मैं आजतक सोचता रहा कि तुमने मेरे साथ कितना अन्याय किया। पर असल में अन्याय तो मैंने किया है। तुम्हें वो हिम्मत ना दे सका कि तुम मुझे वक़्त रहते बता पाती कि तुम इस लड़के से प्यार करती हो। और जब तुमने अपना रास्ता चुन लिया था, जब तुम्हें मेरी ज़रुरत थी तब मैं वहां नहीं था। एक ज़िद्द के कारण मैंने अपनी बच्ची की ओर पलटकर नहीं देखा।”
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फिर मेज़ पर रखी फैमिली फ़ोटो देखकर शुक्ला अंकल बोले, “लेकिन तुमने मुझसे मुंह नहीं मोड़ा। जिद्दी तुम भी हो, लेकिन ज़िद को प्यार के आड़े आने नहीं दिया। मुझे माफ़ कर देना बेटी, और अपनी ज़िद्दी बेटी से गुज़ारिश कर रहा हूं कि मेरी भी एक ज़िद मान ले। इस बेवकूफ़ लड़के से शादी कर ले बेटा। तेरी तरह इसे भी मैंने बचपन से खिलाया है। ये गधा है जो इसने कभी तुझको अपने दिल की बात नहीं बताई। पर अगर ये ना होता तो हम और तुम सामने नहीं खड़े होते। ”
मैंने कहा, “नम्नता मुझे माफ़ कर दो। मन के सात फेरे तो हम ले चुके हैं, अब अग्नि के सात फेरे भी मेरे साथ पूरे कर लो। हम कुछ देर नम्नता की ख़ामोशी पढ़ते रहे, फिर वो बेटी से बोली, “शुभ्रा ये हैं तुम्हारे नानाजी, और ये तुम्हारे स्टूपिड पापा।
बस इतनी सी थी यह कहानी।
इस कहानी के पहले 2 भाग को पढ़ें, लिंक है ।
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