Diwali KI Raat 1st short love story in hindi

Diwali KI Raat 1st love story in Hindi Pyar ki Kahani | Emotional Story Of  family Relations

 

Diwali KI Raat 1st short love story in hindi
Diwali KI Raat 1st short love story in Hindi
Diwali Ki Raat Hindi Kahani

Emotional Story in Hindi (Diwali Ki Raat)

 

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कहानी का शीर्षक है- Diwali Ki Raat
5 नवंबर, 2010। Captain ने Seat बांधने का संकेत अब बंद कर दिया है। Air Hostess की ख़ूबसूरत आवाज़, एक ख़ाली Plane में गूंज रही थी, जैसे एक बड़े आलीशान में बैठा कोई आदमी सिर्फ़ अपने लिए Piano बजा रहा हो। Diwali Ki Raat थी। मैं, अकेलेपन का Champion, एक बार फिर घर से दूर त्योहार पर एक चमचमाते शहर से, दूसरे चमचमाते शहर जा रहा था।
दो घंटे में US से conference call थी और अगली सुबह बहुत ज़रूरी meeting। मां-पापा को ये बताने की हिम्मत ही नहीं कर पा रहा था कि उनका बड़ा बेटा थोड़ी देर में उनकी दहलीज़ से सिर्फ़ पौने दो घंटे दूर एक Five Star Hotel में अनजाने लोगों से Phone पर एक conference call कर रहा होगा।
मैंने खिड़की से नीचे देखा। ऐसे ही चमक रहा होगा, याद शहर। हिंदी अख़बार में छपा मुहूर्त निकल जाए, इससे पहले मां ने पूजा निपटा ली होगी। मिट्टी के दीयों से सजी थाल लेकर छुटकी छज्जे पर खड़ी होगी। पटाख़ों की आवाज़ सुनकर सफ़ेद कुर्ता-पाजामा पहने पापा ने बड़बड़ाना शुरू कर दिया होगा।

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“Sir, would you like vegetarian and non-vegetarian?” I was shocked to hear the voice of the air hostess.
“Would you like vegetarian and non-vegetarian, sir?”
काश मैं पैंतीस हज़ार फुट की ऊंचाई पर अपने मन का place कर पाता। मुझे खानी थी मां के हाथ की पूरियां, आलू की सब्ज़ी, छोले, थोड़ा-सा आम का अचार और आधा पापड़। बाक़ी आधा हमेशा छुटकी चुरा लेती थी ना। याद शहर में दूरदर्शन का छोटा-सा दफ़्तर है। कभी-कभी मन करता है कि लोहे का उसका बड़ा-सा दरवाज़ा खोलकर अंदर घुस जाऊं, और अंदर जाकर कहूं, “यार मेरी ज़िंदगी वापस दे दो।” करमचंद की ऐंठन, किट्टी की हंसी, मालगुडी डेज़ की दोपहरें, चित्रहार की खनक, हम लोग की तकलीफ़, फटीचर के सपने और वागले की दुनिया।Emotional Story in Hindi

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गर्मियों में बिना manners के आम खाते थे। साइकिल पर सूनी सड़कें नापते फिरते थे। रात तक cassette recorder पर ग़ज़लें सुना करते थे। धीरे-धीरे सब याद आ रहा था। Air Hostess tray लेने वापस आई। मैंने कहा, “आप दीवाली पर घर नहीं गईं?” उसने कहा, “Sir, आपकी तरह हर कोई लकी नहीं होता। कम-से-कम आप Diwali Ki Raat घर तो पहुंच जाएंगे।” वो Tray उठाकर चली गई। मैं सोचता रहा कि घर तो जैसे कहीं रखकर भूल आया मैं। मुझे याद है, दीवाली के दिन ही वो पहली बार मुझे मिली थी।
मैं कितना डरपोक था और वो पटाख़े जलाने में एकदम नहीं डरती थी। मुझे देखा और बोली, “आप अंदर जाकर चित्रहार देखिए। आपके बस का नहीं है ये सब।” हमारे पड़ोसी शुक्ला अंकल की बेटी थी, नम्रता। अपने नाम के ठीक उलट। पूरी जंगली थी। ताश में हमेशा चीटिंग करती थी। ख़ुद को श्रीदेवी से कम नहीं समझती थी। गली में हर तीसरे आदमी से झगड़ा कर लेती थी लेकिन बुनियाद की लाजो जी को देखकर छुपकर थोड़ा-थोड़ा रो भी लेती थी।Emotional Story in Hindi
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मेरे पास Trump Card था। आख़िर Color T.V. सिर्फ़ मेरे घर में था ना। रोज़ मैं और वो साथ मिलकर Antenna सीधा करते थे। रोज़ शाम तीन-तीन घंटे साथ दूरदर्शन देखते थे। पापा ने जब Telephone  department में किसी को घूस देकर phone लगवाया था तो उसकी सहेलियों के phone आने लग गए, “जरा शुक्ला जी के यहां से नम्रता को बुला दीजिए प्लीज़।” मैं दौड़-दौड़कर उसे बुलाने के लिए जाता था। फिर एक दिन किसी लड़के का phone आना शुरू हो गया।Emotional Story in Hindi

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Diwali Ki Raat Yaad Sheher Me
Plane से उतरते वक़्त Air Hostess ने कहा, “Sir, अपनी Family को Happy Diwali बोलिएगा।” उतरा तो सात Missed Calls थीं। दो घर से, पांच दफ़्तर से। पहले दफ़्तर phone किया। मैंने कहा, “डेढ़ घंटे में U.S. से conference call करवा देना।” तब तक फिर पापा का call आ गया। बोले, “बेटा तुम कहां हो? देखो यहां सब आए हुए हैं।” मैंने कहा, “पापा ज़रूरी meeting है। आ नहीं पाऊंगा।”
छुटकी ने phone छीन लिया और बोली, “भैया मैं आपसे बात नहीं कर रही।” पीछे घरवालों की हंसी सुनाई दे रही थी। पटाख़ों की आवाज़ें… बच्चों की चीख़-पुकार… घर की चहल-पहल से बहुत दूर मेरी किसी सुनसान रास्ते पर ख़ामोशी से चले जा रही थी। ना जाने कब इतना अकेला हो गया था। ना जाने कब ये अकेलापन मुझे पसंद आने लग गया। ना जाने कब से मैं तन्हाई का मुखौटा ओढ़कर शहर-शहर घूमता रहा। अब मुखौटा उतारने से डरता हूं कि अगर ख़ुद से सामना हो गया तो क्या करूंगा?
गाड़ी Hotel पर रुकी। बड़ी-बड़ी मूंछवाले दरबान ने सलाम करके दरवाज़ा खोला और बोला, “Welcome Back Sir. Happy Diwali.” मैं गुमसुम-सा, बिना सोचे-समझे गाड़ी की पिछली Seat को देखता रहा। Driver ने कहा, “Sir कुछ खो गया क्या?” मैंने ख़ुद से कहा, “हां। मैं।”Emotional Story in Hindi

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रूम नंबर 414 से शहर बेहद ख़ूबसूरत लग रहा था। साल में अब मैं इतने Hotels के कमरों में रहने लगा हूं कि किसी भी Hotel जाता हूं तो लगता है, घर आ गया। कितना जाना-पहचाना है सबकुछ। दीवार पर वही बड़ा फ़्रेम जिसकी तस्वीरें जैसे कोई रोज़ बदल देता है। वही ख़ूबसूरत Bed size lamps, वही बड़ा LCD T.V., वही ख़ूबसूरती से बना हुआ Bed और उसके कोने पर ख़ूबसूरती से रखा एक Card, मुझसे पूछता हुआ कि मैं सुबह कब करूंगा। घर जैसा ही तो है सबकुछ।
मैं जल्दी से नहा-धोकर Conference call का इंतज़ार करने लगा। laptop खोला। power point presentations और Excel sheet का तो बादशाह बन चुका हूं ना मैं। Presentations की जगह ग़लती से एक और Folder खुल गया। कुछ पुरानी, भूली हुई तस्वीरों का Folder। दिल्ली में नानाजी के घर पर Ambassador की छत पर बैठा हुआ मैं। नैनीताल में मफलर और पहने झील के किनारे मूंगफली खाते हम सब। Phone की घंटी बजी। Conference call शुरू होनेवाली थी। मैंने Phone नहीं उठाया।
इसे भी पढ़े-घर की ओर ड्राइव करते-करते मैं हल्के से खुद को टॉन्टकरती हुई मुस्कुरा रही थी, ‘बॉयफ्रेंड!’बड़े शहरों में करियर की ऊंची-नीची लहर पर तैरतेलड़के-लड़कियों की किस्मत में बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड कहांहोते हैं? किसके साथ बांटू अपनी ख़ुशी?
छत पर समोसे और जलेबी की party जब छुटकी की First divisionआई थी, तब की Photo। करवाचौथ पर पांव में आलता लगाए हाथ में मेहंदी लगाती मां। पहली बार साड़ी पहनकर शरमाती, Photo खिंचवाने से इंकार करती नम्रता…Phone की घंटी बजती जा रही थी। मैं उन तस्वीरों से नज़र नहीं हटा पा रहा था। ये Folder बंद नहीं कर पा रहा था।फिर से Ambassador पर, नैनीताल झील के किनारे, छत पर बैठना चाहता था। ख़ुद से छुट्टी लेना चाहता था। ख़ुद से दूर, बहुत दूर जाना चाहता था।
दूर याद शहर में M.G. के पास, वहीं जहां पुराना होता था, उसके पीछे की गली में मेरा घर, रौशनी में जगमगा रहा होगा। मां ने फिर आलता लगा लिया होगा। गुलाब जामुन की Plate सज गई होगी, और पापा कह रहे होंगे, “अरे, उसे गुलाब जामुन कितने पसंद हैं। बता देना, दीवाली पर घर नहीं आया तो उसने क्या Miss किया। वही आरती-संग्रह Part-2 वाली CD फिर चला दी गई होगी।Emotional Story in Hindi
Diwali Ki Raat Kahani in Hindi moral stories to write
मेरा phone बजता ही जा रहा था। मैं फिर में था। एक ज़रूरी Meeting के लिए पहुंचना था। बरसों के यादों के लम्हे बड़ी-सी फुलझड़ी की तरह दिमाग में चमक रहे थे। गर्मियों की रातें, सर्दियों की दोपहरें, बारिश…
Meeting के लिए देर हो रही थी। घर पर पूजा के बाद सब लोग चाय पी रहे थे। दरवाज़े पर घंटी बजी। पापा ने दरवाज़ा खोला और एक Second के लिए Register ही नहीं किया। बोले,”O my God, what a surprise.” दरवाज़े पर मैं था। मैं घर आ गया था। ज़रूरी Meeting थी ना। और फिर Air Hostess ने काम भी तो बताया था।
मैंने कहा, “Happy Diwali Papa.”
मां ने Kitchen से निकलकर मुझे ज़ोर से गले लगा लिया। बोलीं, “पागल। मुझे सब पता है, तेरा Surprise क्या है। तू दीवाली के लिए थोड़ी आया है? परसों नम्रता की शादी में Surprise देना था ना तुझे?   बस इतनी सी थी यह कहानी।
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आपका दिन शुभ हो।

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