Breakup sad Short stories in Hindi to read |
स्कूल लव स्टोरी इन हिंदी
कहानी का शीर्षक है :- फूलों का गुलदस्ता (Final), Read First – Part-1
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Heart touching sad love short stories in Hindi
…लेकिन प्रशांत तो प्रशांत था। वो तो पार्टीज में भी वो ही गाना गाता था। ठीक-ठीक गा लेता था। लड़कियां जो हमारी कॉमन फ्रेंड्स थी, वो उसके साथ गाती थीं। कहती थीं, “प्रशांत अब वो वाला नहीं। नहीं प्रशांत… अब वो वाला।” मैं जलभुनकर राख हो जाया करती थी। एक सहेली थी उसकी, ईशा। कुछ ज़्यादा ही उछलती थी।
मैं कुछ लेने के लिए उठी और वापस आकर देखूं तो प्रशांत के बग़ल में बैठी है। ईशा को लेकर प्रशांत और मुझमें बड़ा झगड़ा होता था। वो कहता था कि मैं इतनी इनसिक्योर हूं कि उसकी फ़ीमेल फ्रेंड्स बर्दाश्त ही नहीं कर सकती। फ़ोन की घंटी बजती जा रही थी। कोई जवाब नहीं था। मैं एम्बैरेस फ़ील करने लगी। बेकार में उसे फ़ोन किया।
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हां, मैं जानना चाहती थी कि क्या ये फूलों का गुलदस्ता उसी ने भेजा था? लेकिन अगर उसने कोई रिश्ता नहीं रखा तो मैं क्यों उसके पीछे भाग रही थी। शायद मैं उससे प्यार करना कभी छोड़ नहीं पाई थी। फ़ोन की स्क्रीन पर सवाल आया, रीडायल? ना जाने किस पागलपन में मैंने कह दिया, यस। फिर फ़ोन डायल होने लगा।
फिर वही कॉलर ट्यून। उस कॉलर ट्यून को सुनकर एक सैंकड में फिर उन लम्हों में पहुंच गई थी, जो हमने साथ बिताए थे, जैसे वो बस अभी फ़ोन उठाएगा और मैं बोलूंगी, “खाना खा लिया बेबी,” उसने फ़ोन का अभी भी जवाब नहीं दिया। मैं पलटी। सामने अंजली खड़ी थी।
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बोली, “मैं तब से इंतज़ार कर रही हूं यार। क्या कर रही है तू?” मैंने कहा, “वो वॉशरूम आई थी।” वो बोली, “तू मर्द बन गई है क्या? आदमियों वाले बाथरूम के सामने खड़ी है। ” फिर हंसकर बोली, “शायद इसीलिए शादी नहीं हो रही है तेरी। ” मैं अंजली के इस मज़ाक़ पर तिलमिला गई। मैंने कहा, “जस्ट शटअप। इट इज़ नॉट फनी। ” अंजली ने कहा, “दिशा मुझे पता है तूने प्रशांत को फ़ोन किया होगा। उसके पीछे मत भाग। ही इज़ गॉन। वह जा चुका है।”
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मैंने कहा, “तू तरस मत खा मेरे पर। तुझे तो बॉयफ्रेंड मिल गया ना? आई एम वेरी हैप्पी… जैसी भी हूं मैं…।” मैं गुस्से में अपनी बेस्टफ्रेंड को वहीं छोड़कर तेज़ी से रेस्टोरेंट के बाहर निकल गई। अंधेरे में रोती-रोती टैक्सी में बैठकर चली जा रही थी मैं। मेरे आंसू टैक्सी वाले को नज़र ना आएं, इसलिए ख़ामोशी से आंसू पोंछती रही।
एक सवाल साथ चल रहा था, मैं किसके पीछे भाग रही थी? क्यों ऐसा लग रहा था जैसे उस पर मेरी ज़िंदगी टिकी थी? ये फूलों का गुलदस्ता किसने भेजा था?
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रात के सीने में ये दिशा कहीं दिशाहीन चली जा रही थी। मेरे हाथ में पसीने से भीगा वो विज़िंटिंग कार्ड था, जो वाइट लिलीज के साथ आया था। पीछे फ़्लोरिस्ट का एड्रेस था। मैं वहीं उस फ़्लोरिस्ट के पास जा रही थी। उससे पूछने कि आखिर किसने ये फूल भेजे थे। मेरे फ़ोन की घंटी बजी। प्रशांत का था। “हाय! क्या हाल?” उसने कहा, “सॉरी यार मीटिंग में था। ” मैंने कहा, “नहीं नहीं, इट्स ओके। कैसे हो तुम?” वो बोला, “बिल्कुल ठीक। ”
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उसके पास मुझसे कुछ कहने को था ही नहीं। मेंरे एक्स बॉयफ्रेंड को मेरा जन्मदिन तक याद तक नहीं था। वो मुझे फूल कैसे मेज सकता था? अचानक उसके पीछे से आवाज़ आई, “आर यू कमिंग बेबी?” ईशा की थी वो आवाज़। मैंने फ़ोन रख दिया। कीपैड से आंसुओं को पोंछा। अंजली को एसएमएस किया। “सारी। हमेशा की तरह इस बार भी मुझे माफ़ कर देना। ”
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फ़्लोरिस्ट के दुकान के सामने गाड़ी रुकी। मैं अंदर गई और पूछा, “जी ये फूल किसने ऑर्डर किए थे मेरे लिए, बता सकते हैं? फ़्लोरिस्ट बोला, “मैडम ये तो नहीं बता पाएंगे। ” फिर उसका असिस्टेंट बोला, “दद्दा ये तो वही वाला ऑर्डर है। ” फ़्लोरिस्ट बोला, “अरे, अच्छा हुआ आप आ गईं। एक ग़लती हो गई थी हमसे। इसके साथ एक मैसेज हम मेजना भूल गए थे।
असल में ऐसा ऑर्डर हमारे पास पहले आया ही नहीं कभी। ये ऑर्डर पिछले साल क़रीब दस महीने पहले आया था। चेक आया था और फ़ोन पर मैसेज डिक्टेट हुआ था। इतना टाइम बीत गया ना, इसलिए ये दराज में मिसप्लेस हो गया। ये लीजिए… ये था मैसेज। ” काग़ज़ पर लिखा था– दिशा, हैप्पी बर्थडे।
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प्रशांत तुमसे प्यार नहीं करता। अंजली ने बताया था हमको फ़ोन पर और इसमें प्रशांत का या तुम्हारा कोई दोष नहीं है। किसी को ख़ुद से प्यार करवाना हमारे बस में होता ही नहीं है। ख़ुद से प्यार करना हमारे बस में होता है। औरो के पीछे भागते हुए ख़ुद से इतनी दूर मत जाना और इतनी मजबूर कभी मत बनना कि ख़ुशियां किसी और की मर्जी और फैसलों की मोहताज बन जाये। I love you बेटा तेरा दादा, विशम्भलाथ माथुर। बस इतनी सी थी यह Hindi Kahani …
यह था इस Heart touching (short stories) Hindi Kahani का आखरी हिस्सा।
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