True Love story in hindi | रोमांटिक कपल लव स्टोरी
कहानी का शीर्षक है :- शॉर्टकट ज़िंदगी (Final) – Read first – Part-1
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“इनको हार्ट अटैक हुआ है भई। सर्जरी करनी होगी। कोई इनका रिश्तेदार, कोई घरवाला है आपमें से यहां? और तरुण की पत्नी कहां है?” “उसने छोड़ दिया यार उसे। ” क्यों छोड़कर चली गई तुम मुझे ऋचा? ऑक्सीजन सिलेंडर लाया जा रहा था। नर्सेँ तेज़-तेज़ चलकर इंतज़ाम कर रही थी।
“मुझे ऑफ़िस निकलना होगा यार, आज क्राइसिस है। मैं चलता हूं,” मुझे आवाज़ सुनाई दी।“कोई मिला तरुण का घरवाला?” फिर एक नर्स की आवाज़ आई। “इनकी फ़ैमिली से है कोई?” “नहीं मैडम। पता कर रहे हैं। ”
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बाहर कोई और एम्बुलेंस किसी और मरते हुए आदमी को लाकर रुकी। “सिर में से ख़ून निकला है गिरते टाइम चोट से। पुलिस केस है। साइन नहीं होगा तो ऑपरेशन शुरू नहीं होगा सर।” “मैडम क्या कह रही हैं? ये आदमी मर जाएगा। ” मैं माफ़ी चाहता हूं ऋचा कि मैं तुमको अपने मम्मी-पापा से मिलने जाने देने पर ऐतराज करता था। हस्बैंड्स कभी-
कभी हस्बैंड कम और जेलर ज़्यादा बन जाते हैं। ये सोचते हैं कि बीवियां उनकी सेवा के लिए हैं। अब माता-पिता की सेवा करने क्यों जा रही हैं।मुझे माफ़ कर देना ऋचा। इतनी छोटी-सी बात पर मैं इतना छोटा हो गया था। तुम्हें नाराज़गी दिखाने लगा था। ज़िद्दी था मैं। तुम्हारे मन को कभी समझ नहीं पाया। ख़ासकर तब, जब शुरू-शुरू में पापा-मम्मी साथ रहने आते थे। “ऑपरेशन थिएटर ले चलो। ”
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नई-नई ब्याही एक लड़की का मन कहां कोई पुरुष आज तक समझ पाया है? नए घर, नए लोगों के बीच आकर रहने की घबराहट, सबकी आकांक्षाओं और उम्मीदों पर खरी उतरने का दवाब। “सीजर्स प्लीज़,” शायद ये किसी डॉक्टर की आवाज़ थी।
ऑपरेशन चालू होने वाला था। बेहोश करने जा रहे थे मुझे और ऋचा क्यों मैं कभी तुम्हें यक्रीन नहीं दिला पाया कि रुक्मिणी सिर्फ़ मेरी दोस्त थी। पत्नी के अलावा किसी भी पुरुष और स्त्री के रिश्ते को पवित्र होने के लिए राखी बांधना ज़रूरी नहीं होता है। कितनी छोटी-छोटी बातें हमारे रिश्ते को अंदर से रौंद रही थीं!
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हम दोनों के साथ दो और बिन बुलाए मेहमान रहने लगे थे–हमारे ईगो, हमारा अहम। शायद मैं चाहता था कि तुम वही सेवा करने वाली बीवी बन जाओ, इतनी आज़ाद न हो जाओ कि मुझसे दूर चली जाओ। मैं ग़लत था ऋचा। मॉडलिंग करने से मेरा तुम्हें रोकना ग़लत था। लेकिन तुम्हारा उस शाम दरवाज़ा खोलकर, घर छोड़कर चले जाना? वो भी सही नहीं था, ऋचा।
और फिर कभी पलटकर ना देखना, वो कहां सही था? तुम मुझे छोड़कर क्यों चली गई ऋचा? जीवन और मृत्यु नाम के दो विशाल पहाड़ के बीच एक छोटा-सा पुल होता है। पतली पगडंडी जितना पतला। मैं ऑपरेशन थिएटर की टेबल पर था। मैं आज उस जीवन और मृत्यु के बीच संकरे से पुल पर खड़ा था और याद के थपेड़े मुझे झिंझोड़ रहे थे। याद शहर का बचपन याद आ रहा था, जिसमें बुजुर्गों के पैर छूने पर वो कहते थे कि ख़ूब बड़ा हो जा बेटा।
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क्या मिला बड़ा होकर? बेवकूफ़ हो जाते हैं हम बड़े होकर। रिश्तों की क़द्र नहीं करते, लोगों की क़द्र नहीं करते। काश मैंने की होती और काश तुमने एक बार मुझे बिठाकर समझाया होता कि बात मॉडलिंग की नहीं थी, बात उन सपनों की थी, जो तुमने बचपन से अब तक देखे थे और ये सोचा था कि मैं तुम्हारा जीवन साथी, वो शख़्स जो दुनिया में तुम्हें सबसे ज़्यादा प्यार करता था, उन सपनों को पूरा होने दूंगा। तुम्हारी मदद करूंगा।
तुमने कभी दोस्त बनकर मुझे समझाया होता कि ये तुम्हारे लिए, तुम्हारे सपनों के लिए कितना ज़रूरी था। लेकिन मैंने ये बातें ना समझीं। मैंने तुमसे कह दिया कुछ और तुम मुझे छोड़कर चली गई ऋचा? कितनी छोटी-छोटी बातों से टूट गया हमारा रिश्ता! कांच के खिलौने जैसा ख़ूबसूरत, लेकिन कांच के खिलौने जैसा ही कमज़ोर निकला। काश हम ऐसे नहीं होते! काश अपनी टुकड़ा-टुकड़ा नासमझी के कारण बाक़ी ज़िंदगी बस हमने ये समझने में ना बर्बाद कर दी होती कि हम कितने नासमझ थे!
ऑपरेशन ख़त्म हो गया था। मुझे बदक़रिस्मती से एक नई ज़िंदगी मिल गई थी। भयानक भीड़ के बीचोबीच चलता एक अकेला मुसाफ़िर और बहुत ज़्यादा अकेला होकर ऑपरेशन थिएटर से वापस आ रहा था।
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अब मेरी ग़लतियां, मेरा अहंकार तक मेरे साथ नहीं थे। कुछ घंटों बाद जब मुझे ठीक से होश आया तो डॉक्टर और नर्स सामने खड़े थे। नर्स ने कहा, “आपको मेजर हार्ट अटैक हुआ था। वो तो अच्छा हुआ, टाइम से आप यहां आ गए।” नर्स आगे बोली, “आपके वॉलेट में छोटी-सी पुरानी डायरी में ऊपर लिखा था–इन केस ऑफ इमरजेंसी, कॉन्टेक्ट ऋचा। ”
मैंने कहा, “हां, लेकिन वो…” नर्स ने कहा, “जी वो आ गई हैं। चार घंटे से बाहर बैठी हैं। कोई और नहीं था तो उन्होंने ही ब्लड दिया। बहुत परेशान हैं आपके लिए। उन्होंने बताया कि वो आपकी वाइफ़ हैं। ” दरवाज़ा ख़ुला और सामने ऋचा खड़ी थी। एक शॉर्टकट ज़िंदगी बिना शॉर्टकट के जीने का वक़्त आ गया था। बस इतनी सी थी यह Hindi Kahani …
यह था इस Heart touching short Hindi Kahani का आखरी हिस्सा।
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