2.True Love story in hindi | सच्चे प्यार की कहानी हिंदी में

True Love story in hindi | सच्चे प्यार की कहानी हिंदी में | रोमांटिक कपल लव स्टोरी

True Love story in hindi | सच्चे प्यार की कहानी हिंदी में
True Love story in hindi | सच्चे प्यार की कहानी हिंदी में

कहानी का शीर्षक है :- शॉर्टकट ज़िंदगी (part-2)

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पैदल उस वीरान अंतहीन रास्ते पर मैं तबसे बस चल ही रहा हूं और ऋचा वो ना जाने कहां गुम हो गई है। मैं जॉगिंग ट्रैक पर हांफता चला जा रहा था। जॉगिंग ट्रैक से उतरकर एक कोने में गया, बेंच पर बैठने को और फिर मैं गिरने लगा।सही कहा था डॉक्टर ने। चालीस साल की उप्र में एक और आदमी को हार्ट अटैक आ गया था।

ओस में भींगी घास पर गिर गया था मैं। आंखें बंद थीं। जैसे गहरी नींद हाथ फैलाए, मुझे घीरे-घीरे अपनी ओरखींच रही हो। पहले किसी ने देखा ही नहीं मुझे, लेकिन सबकुछ सुनाई पड़ रहा था। चिड़ियों का चहचहाना… जॉगिंग करते आसपास बोलते लोग… पानी की बोतल बेचते लड़के की साइकिल की आवाज़… बाहर सड़क पर सुबह की ख़ामोशी तोड़ती कुछ गाड़ियां…

कुछ पल और बीत गए। मेरे दिल में चुभता हुआ दर्द हो रहा था। लेकिन मैं आवाज़ देकर किसी को बुलाने की हालत में नहीं था और मोबाइल फ़ोन भी घर पर छोड़ आया था।

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‘एक वक़्त था, जब फ़ोन में नंबर वन पर मेरी बीवी ऋचा का नंबर स्पीड डायल पर दर्ज होता था। अब इस शहर में कोई मेरा क़रीबी बचा ही नहीं, जिसे मुश्किल में मदद के लिए बुला सकूं। ‘एक वक़्त था जब मैं हर नई डायरी ख़रीदने पर सबसे पहले पन्ने पर उसका नाम लिखता और लिखता था, इन केस ऑफ़ एमरजेंसी कॉन्टेक्ट ऋचा। मैं शॉर्ट्स और जूते पहने था। वहीं ज़मीन पर पढ़े-पड़े गीली घास की नमी घीरे-घीरे मेरे मोजों को नम तो कर रही थी, पर मेरे पांवों को महसूस नहीं हो रही थी। बेजान मन के किसी कोने में घड़ी की सूईयां गिन रहा था।

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अचानक एक छोटे लड़के की आवाज़ आईं। “पापा पापा! एक आदमी मरा पड़ा है!” एक और आवाज़ आई, “ओह माई गॉड!” सीमेंट के जॉगिंग ट्रैक पर पैरों के तेज़ चलने की आवाज़ आई। एक-दो… फिर कई लोग आ गए। मेरी आंखें बंद थीं, लेकिन मन सुन रहा था। “अरे नब्ज़ देखो भाई। ”

“अरे पुलिस का मामला है भडया। सौ नंबर पर फ़ोन कर दो। क्यों पचड़े में पडते हो?” सब सुन रहा था मैं, लेकिन असहाय था। मुझे पता चल गया था कि मैं मौत के क़रीब था। अफ़सोस कर रहा था। क्‍यों याद शहर मां-पापा को तीन दिन से फ़ोन नहीं किया? ऋचा को याद कर रहा था। तुम क्‍यों चली गई ऋचा? आज तुम होती तो मैं यहां घास पर बेजान नहीं पड़ा होता। इन बेदिल लोगों के लिए तमाशा नहीं बन गया होता।प्यार की लव स्टोरी कहानी

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“अरे! ये तो अपनी सोसाइटी का तरुण है। आओ भई आओ, उठाओ इसे। ” तुमने कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ा होता ऋचा, तुमने मेरी ज़िंदगी को यूं बिखरने नहीं दिया होता। “नब्ज़ चल रही है, नब्ज़ चल रही है, गाड़ी लाओ गेट के पास। ” “हाथ दीजिए उधर से हमीद भाई। ” तुम क्‍यों चली गई ऋचा? मैं तुम्हारे बिना ख़त्म हो गया। मुझे गाड़ी के पीछे की सीट पर रख दिया गया था।

अपने निकम्मे नकारा जीवन में शायद कभी किसी का भला किया होगा, जो मेरी बिल्डिंग के कुछ लोगों ने एक मरते हुए आदमी को अस्पताल ले जाने का फ़ैसला किया था। मेरे पांव पीछे किसी आदमी ने अपनी गोद में रख लिए थे। मेरी आंखें बंद थीं। मन सब सुन रहा था। “सांस है क्या अभी?” ड्राइवर सीट पर बैठे आदमी ने पूछा। किसी ने मेरी कलाई पकड़ी। “नब्ज़ जा रही है,” उसने कहा। मैं अभी ख़ुद से पूछ रहा था।

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तुम क्‍यों चली गई ऋचा? हम तो परफ़ेक्ट पिक्चर पोस्टकार्ड कपल थे। यही तो कहते थे ना सब लोग हमें? मंडप के नीचे यज्ञ की वेदी के सामने बैठकर मंत्रों के उच्चारण के बीच मैंने देखा था तुम्हें, ऐसे जैसे उससे पहले कभी नहीं देखा था। हल्की सी थकान, माथे पर पसीने की दो बूंदें, बिखरे हुए बालों की एक लट और मुझे देखकर होंठों के किनारों की दहलीज़ पर खड़ी एक मुस्कराहट।

“नब्ज़ देखते रहो। हमीद भाई, फ़ोन लगाइए एमरजेंसी में। बोलिए पेशेंट को ला रहे हैं। अरे मई इसका घरवाला है कोई यहां पर जिसे फ़ोन कर सकें?” तुम्हें याद है ऋचा, उस दिन पहली बार फूलों से सजे उस मंडप के नीचे तुम मस्ती में कॉमन फ्रेंड्स की वजह से मुझसे शादी करने के लिए हां कर बैठी थी। तुम मुझे पहली बार देखकर शरमाई थी। शायद पहली बार एक दुल्हन जैसा महसूस किया था।

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कितने अच्छे कटे थे हमारी शुरुआत के दिन! हनीमून पर लॉग हट में बैठकर फ़ायर पैलेस के किनारे, मैंने पहली बार जाना था कि इस ख़ूबसूरत चेहरे के पीछे इससे भी ख़ूबसूरत मन था। “राइट लो, राइट लो। इधर ट्रैफ़िक बहुत ज़्यादा होगा। ओए रिक्शा हट ना।” फिर क्यों वो ख़ूबसूरत रिश्ता अचानक थोड़ा कम ख़ूबसूरत लगने लगा था? फिर क्‍यों हम एक-दूसरे से दूरियां महसूस करने लगे थे?

क्‍यों छोटी-छोटी बातों पर झुंझलाने लगे थे? वही चीज़ें जो पहले अच्छी लगती थीं… तुम्हारा ऑफ़िस फ़ोन करके पूछना कि मैं शाम को क्‍या खाऊंगा, क्‍यों इसी पर खीझ लगने लगी थी? कया कम हो गया था ऋचा? “स्ट्रेचर… स्ट्रेचर… हां… इमरजेंसी वार्ड में ले चलो भई। ”

तुम पार्टी से देर से आती थी। मैं अकेला रहता था। फिर मैं देर से आने लगा था। मैं तुम्हारा अक्सर तुम्हारे पेरेंट्स के घर जाना नहीं पसंद करता था। और फिर एक दिन तुमने कहा, तुम मॉडल बनना चाहती हो।

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