Sache प्यार Ki Kahani-world best love story in Hindi-short true love stories
कहानी का शीर्षक है :- डियर वाइफ़, डियर हस्बैंड (Part-2) – Read First Part-1
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इस प्यार की कहानी का पहला पार्ट पढ़ें –सच्चे प्यार की कहानी हिंदी में
…..पप्पी तू ना एकदम सिंगल पीस है यार। रुक जा पेपर ले आऊं और अभी तो बड़ी शिकायतें याद आ रही हैं तेरी। डियर हस्बैंड–तुम्हें कभी तो फ़ील होता होगा न कि तुमने मेरी क़दर नहीं की कितना अच्छा खाना बनाती हूं मैं।
कढ़ी बनाना तो ख़ास तुम्हारे लिए सीखा। शाम को मिसिज़ आहूजा कितनी बार कहती हैं, वॉक पर आ जा, वॉक पर आ जा। नहीं जाती हूं मैं। क्योंकि उस समय तुम्हारे आने का टाइम होता है और मैं जानती हूं की तुमको सक्सेना अंकल के घर से चाबी मांगना कितना ना पसंद है।
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बीएड किया था, ये सोच के की कहीं टीचिंग करूंगी। बच्चों के साथ बात का। मैं भी कंप्यूटर इस्तेमाल करना चाहती हूं, ई-मेल करना चाहती हूं, वो क्या कहते हैं चैट करना चाहती हूं। लेकिन तुम्हें तो लगता है कि पप्पी तो उल्लू है, कंप्यूटर पर क्या करेगी, गेम खेलेगी बस। तुम्हें पता है कुछ, मैं बीकॉम की क्लास में पूरे याद शहर में फ़ोर्थ नंबर पर आई थी।
मैम कहती थी, “बेटा तू बहुत अच्छी टीचर बनेगी” और यहां टीचर कहां फटीचर बना के रख दिया है। मेरा फ्रेंड सर्किल क्या है पता है बाई, दूधवाला, पेपरवाला, जमादार। कितनी अकेली फ़ील करती हूं मैं तुम्हें पता है क्या? एजुकेटेड लड़की जब घर बैठती है न ख़ाली, हस्बैंड की सेवा करते हुए क्या फ़ील करती है पता है तुम्हें, लो जी मैं तो रोने लगी… पता है क्या कहोगे।
प्यार मोहब्बत की कहानी हिंदी में
“पप्पी तेरा यही प्रॉब्लम है, तू हर बात पर रो देती है। बात बाद में ख़त्म होती है, तू रो पहले पड़ती है।’ पर क्या करूं, बुरा लगता है तो रो देती हूं, डोंट माइंड हां। पर कया सोचते हो, मेरे सपने नहीं थे शादी के पहले, जैसी भी थी छोटी-सी नौकरी थी मेरी, सब छोड़ दिया।
इस देश में हम जैसी लड़कियों की यही किस्मत है रे। शादी तक ज़िंदगी हमारी, फिर ससुराल की। डियर वाइफ़–यार पप्पी तू एक बात बता, तुझे मुझमें हमेशा प्रॉब्लम ही क्यों देखती है। तू मुझे परफ़ेक्ट क्यों बनाना चाहती है। तू मेरी लाइफ़ को कंट्रोल क्यों करना चाहती है।
टी.वी. का रिमोट तो कभी देती नहीं है, मेरी लाइफ़ का रिमोट कंट्रोल छीनना चाहती है। तू टी.वी. देख चुकी, सोने जा रही है तो भाई साहब मैं भी टी.वी. स्विच ऑफ़ करके चल दूं, वाह जी वाह ये कहां का इंसाफ़ है। तुझको मुझपे ब्राइट कलर पसंद हैं। तो मैं भी बाई फ़ोर्स लाल-पीला हो जाऊं। मुझे नहीं पसंद हैं यार ब्राउन जूते, क्यों पहनूं मैं।
अगर मैं हफ़्ते, दो हफ़्ते में तीन-चार बार मिठाई खाना चाहता हूं तो उसपे हंटर लेकर रोक लगा देगी। यार लड़कियों का ये सीन कभी समझ नहीं पाता मैं। जब कुंआरी होती हैं ना तो अपने आपको पूरा ढाल देंगी बॉयफ्रेंड के रंग में। उसे कुल्फ़ी पसंद है तो कुल्फ़ी खाएंगी।
चाहे लाइफ़ में हमेशा कुल्फ़ी से छी-छी कहकर नफ़रत की हो। उसे कुल्फ़ी के ऊपर फालूदा पसंद हो, तो देखिए कैसे मन में राम-राम-राम करते हुए फालूदा भी डलवाएंगी। उसे चाइनीज पसंद हो तो चाहे ख़ुद को जितना समोसे खाना हो, चाट खाना हो, जा के मंचूरियन ऑर्डर करना अच्छा लगता है न मुझे, तुम तो जानते हो लेकिन नौकरी नहीं की, किसकी ख़ातिर? तुम्हारी ख़ातिर।
तुम्हें हमेशा यही बताती हूं न कि मुझे नौकरी करने का शौक़ नहीं है, मुझे घर पर अच्छा लगता है… सब झूठ। मैं कितनी बार हसरत से खिड़की के बाहर देखती हूं, जब पड़ोस की सब लेडीज सुबह-सुबह अच्छी-अच्छी साड़ियां पहन के वर्किंग विमंस की तरह बस स्टॉप की ओर जा रही होती हैं, इतने कॉन्फ़िडेंस से।
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तुम्हें क्या लगता है की मेरा मन नहीं होता वर्किंग विमन बनने करेंगी और मजे में खाएंगी। अगर बॉयफ्रेंड को ग़ज़लें पसंद हों और ख़ुद को डांस नंबर तो भी मजाल है की जगजीत सिंह की सीडी ख़रीदना न शुरू कर दें और बायगॉड जिस दिन शादी हो गई, उस दिन तो जैसे एक सीघी-सादी ब्राउन पेपर के जिल्द चढ़ी कॉपी का जिल्द उतर गया और अंदर निकला एक नया चेहरा।
अब तो भई मजाल है की हस्बैंड भी फालूदा कुल्फ़ी खा ले। बस तू वही जिल्द चढ़ी कॉपी है पप्पी। शादी के पहले तो मैं जो पहनूं तुझे अच्छा लगता था, मैं जो कह दूं तुझे बड़ा क्यूट लगता था और अब। पार्टी में अमर शुक्ला के जोकों पर तो तू बड़ा हंस रही थी, जैसे हम जोक नहीं सैड सॉन्ग गा रहे हों। ओए हम नहीं जलते क्या।
शादी के तीन साल हो गए तो क्या, हमारी फ़ीलिंग्स नहीं हैं क्या? हमें भी मन करता है की पहले की तरह अभी भी तू मेरे साथ शरारत करे, मेरे साथ पिक्चर देखने चले। जब पापाजी नहीं देख रहे हो तो चुपचाप गाल पर, एक चुम्मी देकर भाग जाए।
हमें भी मन करता है की तू सुबह-सुबह प्यार से जगाए, चाय का प्याला दे और अपना ख़ूबसूरत-ख़ूबसूरत थोबड़ा दिखाके दफ्तर में मेरे एक और मनहूस दिन को नॉन मनहूस बना दे नहीं। बट आए थिंक तू बदल गई पप्पी।
डियर हस्बैंड–तुम न बदल गए हो, लड़के सब एक जैसे होते हैं। जब बॉयफ्रेंड होते हैं तो बीस-बीस किलोमीटर स्कूटर चला के आएंगे, पांच मिनट को मिलने के लिए। मंदिर में गर्लफ्रेंड से मिलने का मौक़ा हो तो इतने धार्मिक हो जाएंगे कि नहा-धोकर साफ़-सुथरे कपड़े पहन के जूते उतार के प्रसाद की लाइन में खड़े हो जाएंगे।
to be continued…Part-3
( कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त ) प्यार की कहानी हिंदी में, इस प्यार कहानी का पहला Part-1 पढ़ें।
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