Short emotional stories that make you cry in Hindi | Sad family stories in Hindi with Moral
Read Also:- Top 10 moral stories in hindi
कहानी का शीर्षक है :- एक बेटी के नाम ख़त
मेरी प्यारी बेटी, ये एक मां का वो खत है जो मैंने कभी लिखा ही नहीं! हम अब कभी नहीं मिलेंगे। आजतक अपनी मुश्किल ज़िंदगी में मैंने जितनी चीजें की हैं, मौत उन सबमें सबसे मुश्किल काम था। बस कुछ मिनटों में ज़िंदगी का… सपनों का मैंने खून कर दिया। अब तो बहुत देर हो चुकी है, फिर भी सोचा कि तुमसे वो बातें कर लूं जो अब कभी नहीं कर पाऊंगी। कौन जाने मैं अच्छी मां बन पाती कि नहीं। कौन जाने तुम और मैं सहेलियों की तरह गर्मियों की दोपहरी में साथ बैठ एक दूसरे के बालों में तेल लगा पाते कि नहीं।
कौन जाने कि तुम मुझे मम्मी पुकारती या मां, या मॉम जैसे आजकल कूल बच्चे पुकारते हैं। इसलिए छुपाकर बेटी, मैं इतनी कूल बच्ची नहीं थी। याद शहर में एक प्राइमरी स्कूल में पीछे से दूसरी बेंच में बैठने वाली बच्ची थी। दूसरे बच्चे छीन ना लें, टिफ़िन खानेवाली बच्ची थी और मार्क्स थोड़े कम आ गए तो स्टोर में पापा की डांट के डर से दुबककर रोने वाली बच्ची थी।
Read Also:- Short hindi story
फिर शाम को पापा डांटते नहीं थे, तो ख़ुद को डांट लेती थी कि इतना क्यों रोई, बेकार में आंसू बर्बाद किए। सही भी था। आगे ज़िंदगी में इतना रोना था कि आंसू बचा लेती तो अच्छा होता। मां से ज़्यादा बनतीथी। मेरे छोटे-छोटे हाथों पर मेहंदी पहली बार उन्होंने ही लगाई थी। आर्ट्स की टीचर जो थीं। बोलीं, ऐसे ही कभी तेरी शादी में तेरे हाथों पर मेहंदी लगाऊंगी। मैंने मां को समझाया था कि ऐसा नहीं हो सकता। मैं पहले ही अपने गुड्डे से शादी कर चुकी हूं।
Short stories about family relationships in Hindi
याद शहर के पार्क में जाड़ों में मां मुझे ले जाती थीं। वापसी में बाज़ार से प्लास्टिक की छोटी-छोटी चूड़ियां मुझे पहनाती थीं, और फिर ड्रॉइंग की एक किताब ख़रीदती थीं और घर चलकर अपना होमवर्क करना शुरू कर देती थी। उन्हें मुझे हाथी बनाना जो सिखाना था। एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मां ने आर्ट्स कॉलेज, ब्रश, पेंटिंग–सब छोड़ दिया। मैंने मां को किसी से कहते हुए सुना कि पापा को कोई और लड़की पसंद आने लगी थी।
Read Also:- Inspirational moral stories
मेरी प्यारी बेटी, जैसे-जैसे दिन बीते, ये साफ़ होने लगा था कि पापा अपनी ऑफ़िस की उस दूसरी लड़की के बहुत क़रीब आ गए थे। वो सिर्फ बॉस और जूनियर का रिश्ता नहीं था। वो तो कुछ और ही था। इतना गहरा कि मेरी मां के कलेजे में अंदर तक धंस गया था और मेरी मां एक ऐसी योद्धा बन गई थी जो अपने सीने में धंसे उस भाले के बावजूद चले जा रही थी। जानती थी कि उनका पति अब किसी और का प्रेमी हो गया था। लेकिन फिर भी मुस्कुराती थी, फिर सिंदूर लगाती थी, फिर भूखे-प्यासे करवाचौथ का व्रत रखती थी।
हिंदुस्तान में बहादुरी दिखाने के कई तरीके होते हैं, लेकिन लड़की होना शायद हिंदुस्तान में सबसे बहादुरी का काम होता है। बचपन से बड़े होने तक हर क़दम पर हर दूसरी बात पर हमें यह बताया जाता है कि लड़की हो। हमारी दुनिया अलग क़ायदे-क़ानून पर चलती है। मैंने मां को जिंदगी भर खाना बाद में खाते देखा, जब घर के सारे पुरुष खा चुके होते थे। मैंने नानी को सत्तर साल की उम्र में भी गर्मी में साड़ी से पसीना पोंछते हुए किचन में खाना बनाते देखा।
मैंने पड़ोस की बच्चियों को सत्तर रुपए की चप्पलें पहनकर स्कूल जाते देखा, जबकि उनके भाइयों को फुटबॉल खेलने के लिए महंगे जूते मिल चुके होते थे। मैं कोई फ़ेमिनिस्ट नहीं हूं, लेकिन यह तो सच है कि मुझे कभी-कभी मां में और काम करने वाली दीदी में ज़्यादा फ़र्क नज़र नहीं आता था। बस मां के पास कपड़े थोड़े ज़्यादा अच्छे थे। मुझे भी कहा गया था कि घुटनों के ऊपर स्कर्ट ना पहनूं। बाल खोलकर स्कूल ना जाऊं, लड़कों से ज़्यादा बात ना करूं। खैर, मैं तो यूं भी ज़्यादा शर्मीली थी। मेरा लड़कों में कोई दोस्त नहीं था। बस आमिर खान को देखकर शर्माती थी।
Family stories from the trail of tears
लेकिन एक दिन मेरे मोहल्ले का एक लड़का मिला नरेश। उसे देखकर लगा कि जब कॉलेज के बाहर निकलूं तो सज-संवरकर निकलूं। ऐसा लड़का जिससे मिलने के बाद एक सादी-सी लड़की भी ख़ुद को खूबसूरत महसूस करने लगती है। मेरी प्यारी बेटी, हमें लगता है कि प्यार एक चोर की तरह दबे पांव आता है। प्यार ख़ामोशी से आता है। लेकिन नहीं।
प्यार तो ढिंढोरा पीटते हुए आता है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। जैसे दिल में प्यार उतरा, ऐसा लगा कि ये राज़ सिर्फ मुझे और उसे ही पता है। मैं तो ये सोच रही थी कि कब और कैसे पापा को बताऊं कि मैं किताबों के अलावा भी किसी और के बारे में सोचने लगी हूं कि अचानक पापा एक दिन कमरे में दाखिल हुए और टेबल से मेरी किताब ज़ोर से हटाई और एक काग़ज़ का पन्ना मेज़ पर फेंका।
Read Also:- Best moral stories
ये मेरे हाथ से नरेश को लिखी एक चिट्ठी थी, मेरी पहली चिट्ठी जो मैंने उसे चुपचाप भेजी थी। लेकिन मैं ग़लत थी। उसे तो अपने दोस्तों के सामने शेखी बघारने के लिए मेरी चिट्ठी एक इश्तहार की तरह उन्हें दिखानी थी। बात उनसे उनके घरों तक पहुंची और फिर मेरे पापा चिट्ठी लेकर आ गए। मैं इतनी नादान थी, मैंने ऐसे लड़के से प्यार का इज़हार कर दिया था जो मुझे सिर्फ़ एक ट्रॉफ़ी की तरह दिखाता फिर रहा था।
family moral stories in hindi
आजकल तो ज़माना फिर भी बदल गया है। लेकिन उन दिनों ये तो ऐसा था कि रेगिस्तान के बीचोंबीच किसी ने आग लगा दी हो। धुंआ दूर-दूर तक दिख सकता था। मेरी मां ने मेरे पापा को समझाने की कोशिश भी की कि ग़लती मेरी नहीं थी, उस लड़के की थी जिसने मुझे ऐसे इस्तेमाल किया। लेकिन उन्होंने कहा कि इससे उनकी प्रतिष्ठा, उनकी प्रेस्टिज ख़त्म हो चुकी थी कि अगर लड़का होता तो ये दिन ना देखना पड़ता। ना जाने कैसे कह देते हैं लोग ऐसी चीजें आसानी से। शायद वो ये नहीं सोचते हैं कि ऐसे लफ़्ज़ ज़िंदगी भर याद रहते हैं, चुभते हैं, हमें कमज़ोर बना देते हैं।
मैं अचानक एक कैदी बन गई थी। मेरे वही पिता, जिनका अफ़ेयर दफ्तर में एक लड़की से चल रहा था, मुझे अच्छाई सीखा रहे थे। मैं मन-ही-मन घुटती रहती। अक्सर मां को अकेले में रोते देखती, जैसे अपने भूरे प्रिंट की साड़ी नहीं, बेबसी पहने हैं। जो लोग कहते हैं कि लव मैरिज आसानी से टूटते रहते हैं, उन्हें अरेंज्ड मैरिज में ख़ामोशी से घुटती बीवियों को भी देख लेना चाहिए। एक दिन इस घुटती हुई अरेंज्ड मैरिज में पापा मम्मी कोफैसला सुनाने आ गए। वो मेरी मां से तलाक़ चाहते थे।
मेरी प्यारी बेटी, अचानक अपनी मां के लिए मैं मां बन गई थी। उनको इतना बेसहारा और बेबस मैंने आजतक नहीं देखा था और उनके रोते हुए चेहरे में हिंदुस्तान की हर औरत की बेबसी देखी जो जिंदगी भर अपने बेटों, अपने पतियों का आंख मूंदकर ख्याल रखती हैं और बदले में अपमान और तिरस्कार नहीं पातीं तो बदले में प्यार का पुरस्कार भी ज़रूर नहीं पातीं। उन्होंने खाना खा लिया कि नहीं… उनके सर में दर्द हो रहा था, ऑफ़िस में कैसे काम कर रहे होंगे… उन्हें भिंडी अच्छी लगती है, मैंने अभी खाना नहीं खाया तो क्या, जरा बाज़ार जाकर भिंडी ले आती हूं.. यही तो है ना हमारी कहानी?
Short stories about a family with a moral lesson in Hindi
मेरी मां ने भी अपनी शादी के अठारह साल यही किया था। उनकी शादी उनके मां-बाप ने ज़बरदस्ती जिस इंसान के साथ कर दी थी, उसकी, अपने पति की यही सोचकर सेवा की थी कि अब तो यही जिंदगी है। जो वो खाते थे, मां ने अपनी पसंद बना ली। जो रंग उन्हें अच्छा लगता था, उस रंग की साड़ियां मां ने पहननी शुरू कर दी थी। बड़ी कमाल की चीज़ होती हैं हम औरतें। हमें बहादुरी का इनाम मिलना चाहिए–सबको एक-एक शौर्य चक्र। लेकिन पापा ने देखा था कि दुनिया बदल गई थी।
अब तो तलाक़ ऐसे मिलने लग गया था जैसे उन दिनों गैस का कनेक्शन मिलता था। थोड़ी-सी मुश्किल, थोड़ा-सा इंतज़ार, लेकिन मिल जाता था। उन्होंने भी सोचा होगा कि जब सारी दुनिया तलाक़ ले रही है तो क्यों ना हम भी ये आज़ादी का लड्डू थोड़ा-सा चख लें। नरेश वाले मामले के बाद मेरा घर से निकलना एकदम बंद हो गया था, पर अब थोड़ी ढील मिलने लग गई थी। मैंने फैसला कर लिया था कि मैं उस लड़की से जाकर मिलूंगी, अपनी मां की ओर से उससे बात करूंगी। हो सकता है कि मान जाए, मेरी मां की ज़िंदगी से दूर चली जाए।
family moral stories in hindi
इन्हीं दिनों जब पापा ऑफ़िस गए थे तो दरवाज़े पर घंटी बजी। मेरे नाम एक चिट्ठी आई थी। खोली तो नरेश की थी, उसी लड़के की जिसने मुझे बेइज़्ज़त किया था। उसने बेतहाशा माफ़ी मांगी थी, कहा था कि लड़कपन में उसने मेरी चिट्ठी एक-दो दोस्तों को दिखा दी थी क्योंकि वो बेहद खुश था। उसने लिखा था कि वो मेरे बिना नहीं रह सकता। तुम तो जानती हो बेटी, हम लड़कियां कैसी होती हैं! मैं उससे फिर मिलने को राजी हो गई।
मेरी प्यारी बेटी, अपनी मां का दर्द कम करने के लिए उनसे ही एक-दो बार झूठ बोलना शुरू कर दिया। मैं पापा के सहयोगियों को फ़ोन करके अंकल-अंकल कहकर कभी-कभी मासूमियत से उनसे ये जानने की कोशिश करती थी कि वो लड़की कौन थी।
Emotional family stories month
कभी-कभी नरेश से भी मिल लेती थी। यूं तो नहीं कहूंगी कि पुराने दिनों की तरह उससे प्यार करने लगी थी, लेकिन हां, मेरे रूखेपन की बर्फ थोड़ी पिघलने लगी थी। मैंने एक दिन एक पीसीओ में जाकर कांच वाला केबिन ठीक से बंद करके पापा के ऑफ़िस फ़ोन किया। मैंने नाम बदलकर उस लड़की से पूछा। मुझे बताया गया कि उसका ट्रांसफ़र पास ही के एक क़स्बे में हो गया था। अब समझ आ गया था कि उस छोटे-से क़स्बे से, जहां हमें कोई जानता ही नहीं था, क्यों अचानक रजिस्टर्ड पोस्ट घर पर आने लगी थी पापा के नाम?
Sad family stories in Hindi with Moral
उस दिन मैंने पापा को मम्मी से यह कहते सुना कि ऑफ़िस के किसी काम से अगले दिन दिल्ली जाना है। उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने वकील से बात कर ली है। आकर कोर्ट की प्रोसिडिंग्स शुरू करने वाले थे। बोले कि एलीमनी में मां को इतना पैसा मिल जाएगा कि उन्हें अपने ख़र्चे की कोई परेशानी नहीं होगी। मेरे पापा ने मेरी मां के लिए तलाक़ की पेंशन देने का फ़ैसला कर दिया था।
Read Also:- Moral stories for adults
मेरे पास ज़्यादा वक़्त नहीं था। जैसे ही पापा निकले, मैंने मां से कहा कि मुझे कॉम्पिटिशन के लिए कुछ फ़ॉर्म लाने हैं। मैं कॉलेज में नरेश से मिली और उससे कहा कि स्कूटर पर मुझे उस क़स्बे ले जाए जहां वो लड़की रहती थी। अगले दिन पापा के जाते ही मैं चल पड़ी। मां से कहा, उस रात मैं सहेली के घर रहूंगी। उस छोटे से क़स्बे में बस एक ही होटल था, छोटा-सा। हम वहीं रुके। उस लड़की के ऑफ़िस गई मैं। वो छुट्टी पर थी।
Long family stories essay in Hindi with Moral
मैं बड़ी देर तक उसके घर का पता मालूम करती रही। नहीं पता चला। हां, सामने नोटिस बोर्ड पर ऑफ़िस के एम्प्लाइज़ की किसी कॉन्फ्रेंस की फ़ोटो नाम के साथ लगी थी, तो उसकी शक्ल देख ली शाम को नरेश के साथ वापस आई। खिड़की से देखा तो सांस रुक गई। होटल के कमरे से वो लड़की निकल रही थी और उसके पीछे ऑफ़िस का ब्रीफकेस लिए कमरा बंद करते हुए मेरे पापा।
उसी एक लम्हे में मैंने फ़ैसला किया कि मां को कहूंगी कि पापा को तलाक़ दे दे। जिस आदमी ने उनकी इज़्ज़त ही नहीं की, उसकी इज़्ज़त करने का तो सवाल ही नहीं उठता। मेरी प्यारी बेटी, मैं ये नहीं कह रही हूं कि सारे मर्द बुरे होते हैं। लेकिन शायद उनमें अच्छे होने का अनुपात हम औरतों से कम होता है।
short emotional stories in Hindi with moral
जो घुटन मेरी मां ने महसूस की, वो घुटन इस मुल्क की लाखों औरतें महसूस करती हैं, चाहे वो गांव की झोपड़ी हो या बड़े शहर का आलीशान अपार्टमेंट। ऐसे लाखों घर हैं, नए ज़माने में भी, औरतों पर जल्लादों की तरह हाथ उठाया जाता है। जहां उनकी आज़ादी बहू बनकर घर में घुसते ही कैदी की तरह छीन ली जाती है, जहां क़दम-क़दम पर उन्हें धोखा मिलता है।
उस रात उस औरत को अपने पिता के साथ देखने के बाद मैं बिलख-बिलखकर रोने लगी। लेकिन अभी एक धोखा बाक़ी था। मैं हार गई थी, कमज़ोर पड़ गई थी। नरेश ने मुझे बांहों में ले लिया। न जाने कब मैं उसके साथ महफूज़ महसूस करने लगी। ना जाने कब रात ऐसे कटी जैसे ज़िंदगी में कोई रात ना कटी थी। कुछ हफ़्तों बाद पता चला कि मैं एक बिनब्याही मां बनने वाली हूं।
Short emotional video stories in Hindi
मेरी प्यारी बेटी, मुझे माफ़ कर दो। मैं ये बताना चाहती थी कि मैंने क्यों अबॉर्शन कराके तुम्हारी जान ले ली। हमें किसी को जीवन देने का अधिकार नहीं है अगर हम उन्हें मौत से बदतर जिंदगी देने जा रहे हों। काश मैं तुम्हें जन्म दे पाती! काश तुम्हारे पास पिता का नाम होता! काश मैंने तुम्हें खूबसूरत बचपन दिया होता! एक सहेली की तरह बड़ा करती, आंखों में आंसू भरकर विदा करती। काश तुम्हें वो हिम्मत दे पाती जो मुझमें और मेरी मां में नहीं है! काश मैं तुम्हें ये बता पाती कि मेरी तरह बेवकूफ़ी करके कमज़ोर लम्हे की वजह से कच्ची उम्र में मां ना बन जाना!
long emotional stories that make you cry in Hindi
मैं कमज़ोर थी मेरी प्यारी बेटी। बिन ब्याही मां बनकर रहने की हिम्मत नहीं थी मुझमें। कौन जाने मैं अच्छी मां बन पाती कि नहीं। कौन जाने तुम और मैं सहेलियों की तरह गर्मियों की दोपहरी में बैठकर एक-दूसरे के बालों में तेल लगा पाते कि नहीं। कौन जाने तुम मुझे मम्मी पुकारती या मां। मुझे माफ़ कर दो! मैं तुम्हें कभी भूला नहीं पाऊंगी। हो सके तो भगवान के घर में बैठकर मेरी ओर हर रोज़ प्यार से देख लेना, मुस्कुरा देना। मैं ये सोच लूंगी कि तुमने थोड़ी-सी माफ़ी दे दी मुझे। एक दिन मिलूंगी तुम्हें, अपनी बांहोंमें ले लूंगी तुम्हें मेरी प्यारी बेटी! बस इतनी सी थी ये कहानी
आपको यह इमोशनल कहानी कैसी लगी हमें कमेंट करें।
Follow Me:-
Read Also:-
- Family moral stories in Hindi
- Emotional stories on friendship
- Emotional love stories
- मोस्ट रोमांटिक लव स्टोरी इन हिंदी