पंचतंत्र की नई कहानी | Best Panchatantra ki Kahaniyan in Hindi with moral | पंचतंत्र स्टोरी इन हिंदी | पंचतंत्र की कहानियाँ Short Story
The Best Panchtantra Ki Kahaniyan in Hindi with Moral
कहानी का शीर्षक है – शरारती बंदर
बंटी बंदर सुंदरवन में रहता था. उसके माता-पिता उसे बहुत चाहते थे. मगर बंटी बहुत शेतान था. वह खूब शरारतें करता और जंगल के सभी जानवरों को जबतब परेशान करता रहता था. एक दिन सुबह बंटी ने अपनी मां से कहा, “मां, में बाहर. घूमने जाऊं?” बंटी की मां बहुत खुश हुई कि आज उस का बेटा उस से आज्ञा मांग कर घूमने जा रहा है. वैसे तो बंटी हमेशा बिना बताए पूरा-पूरा दिन घर से गायब रहता था.
इसलिए मां ने खुशी-खुशी बंटी से. कहा, “जाओ बेठा, जरूर जाओ. सुबह की खुली हवा में घूमना फायदेमंद होता है. इस से सेहत भी ठीक रहतो है.” यह सुनते ही बंटी खुशी से उछलता-कुदता बाजार की ओर चल दिया.
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रास्ते में बंटी को उस का दोस्त मिट्ठू तोता मिला. मिट्ठू उससे पृछा “कहो यार, बाजार जा रहे हो क्या?. बंटी ने फौरन छुट बोल दिया, ‘ नहीं तो.” यह कह कर वह दुसरे रास्ते चल पड़ा .असल में वह जा रहा था. मगर वह अपने साथ मिट्ठू को नहीं ले जाना चाहता था. कुछ देर चलने पर बंटी ने देखा कि कालू भालू एक ठेले पर गरमागरम समोसे रख कर बेच रहा है. उस ने कालू के पास जा कर कहा,” दो समोसे देना.” कालू ने पूछा, “तुम्हारे पास पैसे हैं? ”
बटी ने कहा, “हां, यह देखो.” यह कह कर उस ने अपना दाहिना हाथ पेंट की जेब में डाल कर हिला दिया. कालू को सिक्के खनकने की आवाज सुनाई दी तो उस ने फौरन दो समोसे बंटी को दे दिए. बंदी ने जल्दीजल्दी समोसे खा लिए और पानी पी कर चुपचाप आगे चलने लगा.
यह देख कर कालू ने उसे पकड़ लिया और पैसे मांगने लगा. जब बंटी हंसने लगा तो कालू ने उस की जेब में हाथ डाला. बंटी की जेब में कुछ टीन के ढक्कन थे. कालू गुस्से में आकर उसकी जेब से ढक्कन निकल-निकल कर सड़क पर फेंकने लगा. तभी बंटी ‘ने देखा कि ढक्कनों के साथ-साथ जमीन पर कुछ सिक्के भी गिर रहे हैं. बंटी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि उस की जेब में पैसे कहाँ से आ गए , उस के पास तो पंसे थे ही नहीं.
अब बंटी ने चारों ओर देखा तो उसे पेड़ पर मिट्ठू तोता बैठा दिखाई पड़ा. ये पेसे उसी से फेंके थे. बंटी एकटक मिट्दू की ओर देखता रहा. कालू ने गिन कर नीचे से पैसे उठा लिए. फिर वह बंटी से बोला, “देखो, एक मिट्ठू तुम्हारा दोस्त है जो तुम्हारी मदद कर रहा है और एक तुम हो जो दूसरों के पँसे ले कर भाग जाते हो.”
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यह कह कर कालू अपने ठले को ठेलता हुआ वहां से चला गया. मिट्ठू नीचे आया. उस ने बंटी से कहा, “ मैं जानता था कि तुम इधर ही आओगे. इसलिए मैं तुम से पहले ही यहां आ गया. कुछ देर पहले कालू अपने एक दोस्त से बात कर रहा था कि अगर बंटी ने किसी दिन उस के पैसे नहीं दिए तो वह उसके कपड़े और जूते उतरवा लेगा. यह सुन कर मैं इस पेड़ पर ही रुक गया. जब वह तुम्हारी जेब की तलाशी लेने लगा : तो में ने पैसे गिरा दिए थे.”
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बंटी मन ही मन बहुत शर्मिंदा हुआ. उसने मिट्ठू से कहा,” दोस्त, मैं वादा करता हूँ कि आगे से ऐसा नहीं करूँगा. मैं तुम्हारे जैसे ईमानदार ही बनूँगा.” यह कहते-कहते बंटी की ऑंखें भर आई. मिट्ठू बहुत खुश हुआ. बंटी में यह बदलाव देख कर वह ख़ुशी से उड़ कर बंटी के कंधे पर आकर बैठ गया. फिर बंटी अपने घर की तरफ चल पड़ा.
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