कालरात्रि का शापित धरोहर – कालरात्रि की रहस्यमयी वापसी और न्याय की खोज

हरिदास के बलिदान के 20 साल बाद सिद्धपुर में शांति टूट गई। कालरात्रि की आत्मा फिर जाग उठी, और इस बार वह पहले से भी ताकतवर थी। अन्वेषा और कुछ साहसी युवाओं ने इतिहास में जाकर कुसुम के साथ हुए अन्याय को ठीक करने का प्रयास किया। जानिए इस रहस्यमयी कहानी का तीसरा भाग।

shaapit-dharohar-kala-ratri-horror-story

कहानी का तीसरा भाग – शापित धरोहर

हरिदास के बलिदान के बाद, सिद्धपुर में कई वर्षों तक शांति बनी रही। लेकिन यह शांति लंबे समय तक टिकने वाली नहीं थी। मंदिर को बंद कर दिया गया था और उस पर एक पत्थर की पट्टिका लगा दी गई थी, जिस पर लिखा था –

यहाँ कालरात्रि की आत्मा को शांति मिली है। इसे फिर कभी मत जगाना।

हालांकि, इंसानी जिज्ञासा कभी-कभी सबसे बड़ा अभिशाप बन जाती है।

20 साल बाद, सिद्धपुर में एक नई पीढ़ी जन्म ले चुकी थी। यह पीढ़ी उन कहानियों को “पुराने ज़माने की बकवास” समझती थी। गाँव के युवा, जो आधुनिक दुनिया से प्रभावित थे, मंदिर के आस-पास जाने का साहस करने लगे।

इन युवाओं में से एक था विवेक, जो एक शहरी कॉलेज से पढ़ाई कर रहा था। वह हमेशा अतीत के रहस्यों को खोजने में रुचि रखता था। जब उसने सिद्धपुर के मंदिर के बारे में सुना, तो वह अपने दोस्तों के साथ इसे देखने निकल पड़ा।

विवेक और उसके दोस्त मंदिर के पास पहुँचे। पत्थर की पट्टिका को देखकर वे हँसने लगे। “यह सब बकवास है। भूत-प्रेत जैसी कोई चीज़ नहीं होती,” विवेक ने कहा।

उसके दोस्त रवि ने कहा, “अगर यह सच होता, तो हरिदास का बलिदान व्यर्थ क्यों जाता?”

लेकिन विवेक की जिज्ञासा शांत नहीं हुई। उसने पट्टिका हटाई और भारी दरवाजे को खोल दिया। अंदर का दृश्य अब और भी डरावना था। मंदिर की दीवारों पर धूल और जाले थे, लेकिन हवा में एक ठंडक थी जो असामान्य थी।

उन्होंने मुख्य कक्ष में कदम रखा, जहाँ हरिदास का बलिदान हुआ था। वहाँ अब एक नई दरार दिख रही थी, जो कालरात्रि के तांबे के बक्से के पास थी। विवेक ने जैसे ही उस दरार को छुआ, हवा में गूँजती एक भयानक हँसी सुनाई दी।

shaapit-dharohar-kala-ratri-horror-story

अचानक, पूरा मंदिर हिलने लगा। दीवारों पर बने चित्र फिर से जीवित होने लगे। मूर्तियाँ हल्की-हल्की चमकने लगीं, और एक काले धुएँ का बादल दरार से बाहर निकलने लगा।

“तुमने मुझे फिर से जगा दिया है,” एक भारी और डरावनी आवाज गूँजी।

विवेक और उसके दोस्तों ने भागने की कोशिश की, लेकिन मंदिर का दरवाजा अपने आप बंद हो गया। धुएँ से कालरात्रि की आकृति उभरी। उसकी आँखें जलती हुई लाल थीं, और उसकी उपस्थिति से पूरा वातावरण कांप रहा था।

विवेक और उसके दोस्तों ने जैसे-तैसे मंदिर से बाहर भागने में सफलता पाई। लेकिन उनके लौटने के बाद, सिद्धपुर में अजीब घटनाएँ फिर से शुरू हो गईं।

shaapit-dharohar-kala-ratri-horror-story

गाँव के कुएँ का पानी लाल हो गया। पशु बुरी तरह डरने लगे और अकारण मरने लगे। बच्चों को रात में बुरे सपने आने लगे, और घरों में सामान अपने आप हिलने लगा।

गाँव के लोग समझ गए कि कालरात्रि फिर से जाग चुकी है। लेकिन इस बार, वह पहले से ज्यादा ताकतवर थी।

इन घटनाओं की खबर सुनकर, अन्वेषा एक बार फिर सिद्धपुर पहुँची। उसने गाँव वालों से पूरी बात सुनी और समझ गई कि विवेक ने एक बड़ी गलती कर दी है।

“यह शाप अब पहले जैसा नहीं है,” अन्वेषा ने कहा। “कालरात्रि अब पूरी तरह से मुक्त हो चुकी है। उसे रोकने के लिए इस बार केवल बलिदान से काम नहीं चलेगा। हमें उसके शाप की जड़ों तक जाना होगा।”

गाँव के लोग डर गए। उन्होंने अन्वेषा से कहा, “इस बार हम तुम्हारे साथ नहीं आ सकते। यह बहुत खतरनाक है।”

लेकिन अन्वेषा ने हार नहीं मानी। उसने विवेक और उसके दोस्तों को अपने साथ चलने के लिए मजबूर किया।

अन्वेषा ने एक तांत्रिक पुस्तक निकाली, जिसमें कालरात्रि के अभिशाप के बारे में गहराई से लिखा था। उसने पढ़ा कि कुसुम (कालरात्रि) का शाप केवल उसकी आत्मा को शांति देने से नहीं टूटेगा। उसके साथ जो अन्याय हुआ था, उसे ठीक करना होगा।

“हमें उस समय तक वापस जाना होगा, जब यह सब शुरू हुआ था,” अन्वेषा ने कहा।

विवेक ने पूछा, “वापस जाना कैसे संभव है?”

अन्वेषा ने बताया कि मंदिर में एक गुप्त स्थान है, जहाँ एक प्राचीन दर्पण रखा हुआ है। यह दर्पण समय को मोड़ सकता है, लेकिन इसका इस्तेमाल करने में बहुत बड़ा खतरा है।

अन्वेषा, विवेक, और उसके दोस्त मंदिर वापस गए। इस बार, मंदिर पहले से भी ज्यादा भयावह लग रहा था।

shaapit-dharohar-kala-ratri-horror-story

उन्होंने मुख्य कक्ष के पीछे एक गुप्त दरवाजा खोजा, जहाँ वह दर्पण रखा हुआ था। जैसे ही उन्होंने दर्पण के पास कदम रखा, कालरात्रि प्रकट हो गई।

“तुम मेरे समय को बदलने की कोशिश करोगे?” उसने गुस्से में कहा।

अन्वेषा ने मंत्र पढ़ते हुए दर्पण को सक्रिय किया। दर्पण के अंदर एक चमक दिखाई दी, और पूरा समूह समय की धारा में खिंच गया।

वे सभी उस समय में पहुँच गए जब कुसुम को गाँव के लोगों ने चुड़ैल घोषित किया था। उन्होंने देखा कि कैसे उसे बेबुनियाद आरोपों के कारण सजा दी गई।

shaapit-dharohar-kala-ratri-horror-story

अन्वेषा ने गाँव के तत्कालीन मुखिया से बात की और सच्चाई सामने लाई। उसने दिखाया कि कुसुम निर्दोष थी, और उसे मारना एक भयंकर गलती थी।

गाँव वालों ने अपनी गलती स्वीकार की और कुसुम से माफी माँगी। लेकिन यह आसान नहीं था। कुसुम की आत्मा को शांत करने के लिए उस समय के मुखिया को अपना जीवन देना पड़ा।

जैसे ही न्याय हुआ, दर्पण ने सभी को वर्तमान में वापस खींच लिया। इस बार, मंदिर शांत था। कालरात्रि की छाया हमेशा के लिए मिट चुकी थी।

गाँव में अब कोई भयावह घटना नहीं होती। सिद्धपुर ने एक नया जीवन शुरू किया, लेकिन वह मंदिर अब भी एक चेतावनी के रूप में खड़ा था—अंधविश्वास और अन्याय से दूर रहने की।

किस्सा ख़तम पैसा हज़म

Leave a Comment