शिवांगी का सफर एक प्राचीन युग में जारी है, जहां उसे यज्ञ कुंड से जुड़े रहस्यों और परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है। डर, लालच, और बलिदान की कठिन परीक्षा में क्या वह सत्य की प्राप्ति कर पाएगी? पढ़ें रोमांचक कहानी।
शिवांगी अपने चारों ओर देखती है। यह एक प्राचीन समय था – विशाल मंदिर, सुनहरे गहनों से सजे लोग, और चारों ओर एक दिव्य आभा। लेकिन इस शांति के बीच एक रहस्यमय डर भी छुपा हुआ था।वह खुद को एक छोटे गांव के पास पाती है। गांव वाले उसे घूरते हैं, जैसे वह किसी दूसरे लोक की हो।
एक बूढ़ी महिला उसके पास आती है और कहती है – तुम आ गईं। तुम्हारा इंतजार था। शिवांगी स्तब्ध रह जाती है और पूछती है – आप मुझे कैसे जानते हैं? महिला धीरे से जवाब देती है – तुम्हारी आत्मा इस धरती की रखवाली करने के लिए चुनी गई है। लेकिन तुम्हें सबसे बड़ा बलिदान देना होगा।”
महिला शिवांगी को गांव के बाहर स्थित एक यज्ञ कुंड पर ले जाती है। वहां उसे एक विशाल शिला दिखाई देती है, जिसमें वही दर्पण उकेरा गया है।महिला कहती है – यह कुंड एक महान शक्ति को कैद करता है। इसे मुक्त करना होगा, लेकिन केवल वह व्यक्ति इसे खोल सकता है, जिसने अपने अतीत से भागना छोड़ दिया हो।
शिवांगी को समझ आता है कि यह काम उसके लिए ही है। लेकिन यज्ञ कुंड के पास एक और चेतावनी लिखी थी – जो भी इसे खोलेगा, वह अपने जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा देगा।
जैसे ही शिवांगी यज्ञ कुंड के करीब जाती है, एक तेज आवाज गूंजती है, और उसके चारों ओर अंधेरा छा जाता है। अचानक, उसे अपने बचपन के सबसे बुरे डर का सामना करना पड़ता है – एक अंधेरी गुफा में फंसे होने का।
वह चीखती है, लेकिन उसे अपने दादा की बात याद आती है- डर केवल एक भ्रम है। इसे स्वीकार करो, और यह गायब हो जाएगा। शिवांगी साहस जुटाती है और गुफा की ओर बढ़ती है। जैसे ही वह गुफा के अंदर जाती है, अंधेरा गायब हो जाता है।
अगली परीक्षा में शिवांगी को एक विशाल खजाना दिखाई देता है। इसमें अनमोल रत्न और सोने के सिक्के हैं। एक आवाज उसे प्रलोभन देती है – यह सब तुम्हारा हो सकता है। बस अपनी यात्रा यहीं खत्म कर दो।
लेकिन शिवांगी को एहसास होता है कि यह खजाना केवल उसे उसकी सच्ची राह से भटकाने के लिए है। वह कहती है – मैं यहां सत्य खोजने आई हूं, न कि भौतिक सुखों के लिए।”खजाना गायब हो जाता है, और यज्ञ कुंड का दर्पण चमकने लगता है।
यज्ञ कुंड से एक और आवाज गूंजती है, तुमने अपने डर और लालच को हराया, लेकिन अब तुम्हें सबसे कठिन परीक्षा देनी होगी – अपने प्रियजनों को खोने का दर्द। शिवांगी को अपने माता-पिता और दादा की छवियां दिखाई देती हैं।
उसे विकल्प दिया जाता है – या तो वह अपनी यात्रा छोड़कर अपने परिवार को बचा सकती है, या अपनी यात्रा पूरी कर उन्हें हमेशा के लिए अलविदा कह सकती है। शिवांगी के दिल में दर्द होता है, लेकिन वह समझ जाती है कि उसकी यात्रा केवल उसके परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए है। वह कहती है- मैं बलिदान के लिए तैयार हूं।
जैसे ही शिवांगी यह शब्द कहती है – यज्ञ कुंड से एक सुनहरी रोशनी निकलती है और पूरी जगह को भर देती है। आवाज कहती है, तुमने अपनी आत्मा को मुक्त कर दिया है। तुम्हारा बलिदान मानवता के लिए एक नया अध्याय लिखेगा।
शिवांगी बेहोश हो जाती है। जब वह जागती है, तो वह वापस अपने वर्तमान समय में होती है, लेकिन इस बार उसके मन में शांति और संतोष है।
गांव वाले बताते हैं कि यज्ञ कुंड और दर्पण अब हमेशा के लिए गायब हो गए हैं। शिवांगी को एहसास होता है कि उसने न केवल अभिशाप को खत्म किया, बल्कि अपने जीवन का उद्देश्य भी पूरा किया।लेकिन क्या शिवांगी की यह यात्रा वास्तव में खत्म हो चुकी है? या सत्य के और भी पहलू हैं, जो अभी उजागर होने बाकी हैं?
…अगले भाग में – क्या शिवांगी अपने सामान्य जीवन में लौट पाएगी, या उसका सफर एक और रहस्यपूर्ण दिशा में बढ़ेगा?