शिवांगी का सामना होता है “सत्य दर्पण” से, जो उसके अतीत का गहरा रहस्य उजागर करता है। जानें, कैसे यह दर्पण उसे प्राचीन युग के नए अभिशाप और रहस्यमयी सफर की ओर ले जाता है।
शिवांगी को अब सामान्य जीवन जीते हुए छह महीने हो चुके हैं। हवेली और दर्पण से जुड़ी सारी यादें मिट चुकी थीं, लेकिन एक दिन उसके मेलबॉक्स में एक पुराना खत मिलता है।खत पर सिर्फ एक पंक्ति लिखी थी, तुमने अभिशाप खत्म कर दिया, लेकिन क्या तुमने अपनी आत्मा बचाई?
शिवांगी को यह पढ़कर अजीब-सा एहसास होता है। वह खत को बार-बार पढ़ती है, लेकिन समझ नहीं पाती कि यह किसने भेजा।
कुछ दिनों बाद, शिवांगी को अपने घर के कमरे में एक जानी-पहचानी आवाज सुनाई देती है। यह वही आवाज थी जो उसने दर्पण के अंदर सुनी थी। आवाज कह रही थी, यह सिर्फ तुम्हारी शुरुआत है। तुम्हें अब एक नई जिम्मेदारी दी गई है।
शिवांगी डर जाती है। उसे लगता है कि दर्पण और हवेली की कहानियां खत्म हो चुकी थीं, लेकिन अब ऐसा लग रहा था कि यह केवल शुरुआत थी।
एक रात शिवांगी को सपने में वही पुरानी हवेली दिखाई देती है, लेकिन इस बार हवेली के स्थान पर एक विशाल मंदिर खड़ा है। मंदिर के बीच में एक और दर्पण रखा हुआ है। सपने में उसे एक साधु की आवाज सुनाई देती है, दूसरा दर्पण सत्य को उजागर करता है।
लेकिन क्या तुम इसे संभाल सकोगी? सपने से जागने के बाद शिवांगी को एहसास होता है कि यह सिर्फ एक सपना नहीं था। वह अपने अनुभव के कारण अब हर संकेत को गंभीरता से लेने लगी थी।
शिवांगी ने अपने सपने में देखे मंदिर को खोजने का फैसला किया। वह उसी गांव लौटती है जहां हवेली थी। गांव में उसे पता चलता है कि हवेली के स्थान पर अब सचमुच एक प्राचीन मंदिर का निर्माण हो चुका है।मंदिर के अंदर वही दर्पण रखा था।
गांव वाले इसे “सत्य दर्पण” कहते थे। कोई भी इसके पास जाने की हिम्मत नहीं करता था, क्योंकि कहते थे कि यह दर्पण हर किसी के अतीत और छुपे हुए राज को उजागर कर देता है।
शिवांगी के कदम खुद-ब-खुद दर्पण की ओर बढ़ते हैं। जैसे ही वह उसके सामने खड़ी होती है, दर्पण में उसकी परछाई उभरने लगती है। लेकिन यह परछाई धीरे-धीरे बदलकर एक लड़की का रूप ले लेती है – वह लड़की कोई और नहीं, बल्कि खुद शिवांगी थी, लेकिन एक अलग समय और युग की।
दर्पण से आवाज आती है, तुम्हारा अतीत अधूरा है। तुम्हारा सफर अब शुरू होता है। शिवांगी दर्पण को छूते ही दूसरी दुनिया में पहुंच जाती है। यह एक प्राचीन युग था, जहां एक और अभिशाप उसका इंतजार कर रहा था।
अंत का नया मोड़क्या शिवांगी इस नए रहस्य को सुलझा पाएगी? क्या सत्य दर्पण उसे उसकी असली पहचान बताएगा? या यह सफर उसे एक और अनसुलझे सवालों की ओर ले जाएगा?
…अगले भाग में – शिवांगी का प्राचीन युग में रहस्यपूर्ण सफर और उसके जीवन का असली मकसद क्या है?