पुरानी हवेली का रहस्य Part 2 अतीत का पुल और दर्पण का अभिशाप

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शिवांगी के साहसिक सफर में वह दर्पण के जरिए अतीत में प्रवेश करती है और अपने परिवार के इतिहास से जुड़े रहस्यों और अभिशाप को उजागर करती है। जानें, क्या शिवांगी इस रहस्य को सुलझाकर विरासत बचा पाएगी?

अतीत में प्रवेशदर्पण की चमक धीरे-धीरे शांत हो जाती है, और शिवांगी खुद को एक राजमहल के प्रांगण में खड़ा पाती है। चारों ओर सैनिक तैयार खड़े हैं, जैसे कोई बड़ा युद्ध होने वाला हो।

शिवांगी को एहसास होता है कि यह उसके दादा का राज है।सामने खड़े राजा को देखकर वह ठिठक जाती है। उनकी शक्ल हूबहू उसके दादा जैसी है। शिवांगी को समझ में आता है कि दर्पण ने उसे अतीत में पहुंचा दिया है।

रहस्यमयी चेतावनीराजमहल में अचानक हड़कंप मच जाता है। एक साधु, जो राजा का राजगुरु है, दरबार में प्रवेश करता है और राजा को चेतावनी देता है:”आज रात दुश्मन केवल आपके किले पर हमला नहीं करेगा, बल्कि आपके परिवार के विरुद्ध भी एक षड्यंत्र रचेगा।

आपको अपनी विरासत और अपनी संतानों को बचाने के लिए बलिदान देना होगा।”राजा शिवांगी को पहचान नहीं पाते, लेकिन उनकी आंखों में एक अजीब-सा अपनापन दिखता है। शिवांगी चुपचाप यह सब देखती रहती है।

युद्ध और बलिदानरात होते ही किले पर हमला शुरू हो जाता है। राजा अपने सैनिकों के साथ दुश्मनों का मुकाबला करने निकलते हैं। शिवांगी को अहसास होता है कि इस युद्ध के दौरान ही कुछ ऐसा होगा जिससे उनके दादा की मौत हुई थी।

वह छुपते-छुपाते युद्ध के मैदान में पहुंचती है और देखती है कि दुश्मन के सैनिक राजा को घेर लेते हैं। उसी समय, राजा अपनी तलवार फेंकते हुए एक ऐसी जगह वार करते हैं, जहां एक रहस्यमयी वस्तु छुपी हुई है।

शिवांगी समझ जाती है कि यह वही वस्तु है जिसे दर्पण से जोड़ा गया है। दर्पण का दूसरा रहस्यजैसे ही राजा वह वस्तु छूते हैं, उनका शरीर चमकने लगता है। उनकी आत्मा शिवांगी के पास प्रकट होती है।

यह दर्पण केवल समय का पुल नहीं है, यह एक अभिशाप भी है। इसे सक्रिय करने वाला व्यक्ति अपने अतीत को बदल सकता है, लेकिन इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।”शिवांगी को यह समझ में आता है कि उसके दादा ने यह बलिदान इसलिए दिया ताकि उनके वंशज इस अभिशाप को हमेशा के लिए खत्म कर सकें।

वर्तमान की वापसी और नया ट्विस्टदर्पण अचानक जोर से चमकने लगता है और शिवांगी अपने वर्तमान में लौट आती है। लेकिन कुछ अजीब होता है – हवेली अब खंडहर नहीं रही। यह एक सुंदर और जीवंत महल में बदल गई है।

गांव वाले उसे प्रणाम करते हुए कहते हैं, “आपने हमारे राजा का अभिशाप खत्म कर दिया। यह हवेली अब आपकी है।”शिवांगी को गर्व होता है, लेकिन तभी उसे हवेली के एक कमरे में वही दर्पण दिखाई देता है। इस बार उसमें एक और चेतावनी लिखी होती है:”विरासत बची है, पर कीमत बाकी है।

….अगले भाग में: क्या शिवांगी हवेली के इस नए रहस्य का सामना कर पाएगी? दर्पण की आखिरी कीमत क्या होगी?

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