शिवांगी का सामना होता है हवेली के सबसे गहरे रहस्य से – कालदर्पण, जो समय को बदल सकता है। जानें, कैसे उसने परछाइयों के हमले और बलिदान के कठिन फैसले के बीच हवेली के अभिशाप को खत्म किया।
शिवांगी अब पूरी तरह से बदली हुई हवेली का निरीक्षण करती है। हर कोना शानदार है, लेकिन हवेली की निचली मंजिल पर एक कमरा अभी भी बंद है। वह कमरे तक जाती है और महसूस करती है कि यह वही कमरा है जहां दर्पण पहले था।
दरवाजे पर एक नया संदेश उकेरा हुआ है, यहां वह सत्य छिपा है जो तुम्हें मुक्त कर सकता है। लेकिन सत्य तक पहुंचने के लिए तुम्हें अपने डर का सामना करना होगा। शिवांगी अंदर जाने का साहस करती है। कमरे में घुसते ही उसे ठंड का अजीब-सा एहसास होता है। यह जगह बाकी हवेली से अलग और बहुत डरावनी लगती है।
जैसे ही शिवांगी कमरे के बीच में रखे एक पुराने संदूक को खोलने की कोशिश करती है, चारों ओर अंधेरी परछाइयां बननी शुरू हो जाती हैं। वे परछाइयां धीरे-धीरे इंसानी आकार ले लेती हैं और शिवांगी की तरफ बढ़ने लगती हैं।
शिवांगी घबरा जाती है लेकिन उसके दादा की आवाज अचानक गूंजती है, डर से लड़ो। सत्य तक केवल साहस से पहुंचा जा सकता है। यह सुनकर शिवांगी अपनी सारी हिम्मत जुटाती है और जोर से चिल्लाती है, मैं तुम्हारा सामना करने के लिए तैयार हूं। मैं सच जानूंगी।
परछाइयां एक-एक कर गायब हो जाती हैं, और संदूक अपने आप खुल जाता है। संदूक के अंदर एक चमचमाता हुआ कागज और एक पुरानी किताब है।
किताब में शिवांगी को पता चलता है कि दर्पण वास्तव में एक “कालदर्पण” है, जो समय की धारा को बदल सकता है। लेकिन इसे पूरी तरह से नष्ट करने के लिए परिवार के अंतिम सदस्य को अपना जीवन बलिदान देना होगा।शिवांगी स्तब्ध रह जाती है।
उसे एहसास होता है कि यह हवेली और दर्पण तभी पूरी तरह मुक्त हो सकते हैं जब वह अपना बलिदान देगी। शिवांगी के सामने दो रास्ते हैं – या तो वह अपने जीवन को बचाए और हवेली में शांति बनाए रखे, या वह बलिदान दे और इस अभिशाप को हमेशा के लिए खत्म कर दे।
कुछ देर सोचने के बाद वह अपने दादा की आवाज को याद करती है, हमारी विरासत हमारी जिम्मेदारी है। शिवांगी दर्पण के सामने खड़ी होती है और कहती है, मैं अपना जीवन बलिदान करने के लिए तैयार हूं, लेकिन इस अभिशाप को खत्म करना चाहती हूं।
जैसे ही शिवांगी अपना निर्णय लेती है, दर्पण जोर से चमकने लगता है और फिर हजारों टुकड़ों में टूट जाता है। हवेली की दीवारें हिलने लगती हैं, और एक तेज आवाज गूंजती है, अभिशाप खत्म हुआ। यह हवेली अब मुक्त है। शिवांगी धीरे-धीरे बेहोश हो जाती है।
जब वह उठती है, तो वह अपने घर में होती है। उसके पास हवेली की कोई याद नहीं होती, लेकिन उसके जीवन में अब एक अजीब-सा सुकून और खुशी रहती है।
गांव में हवेली अब पूरी तरह से गायब हो चुकी है। लेकिन गांव वाले एक कहानी सुनाते हैं – “एक लड़की ने हवेली को अभिशाप से मुक्त किया। शिवांगी को जब भी कोई अजनबी जगह दिखती है, उसे अजीब-सा एहसास होता है, जैसे उसने वहां कुछ देखा हो।
क्या वास्तव में सब खत्म हो गया है? या हवेली का एक और रहस्य बाकी है?
…अगले भाग में – क्या शिवांगी अपने जीवन में फिर से दर्पण या हवेली से जुड़ी कोई छवि देखेगी? या कहानी का अंत यहीं है?