पुरानी हवेली का रहस्य Part 1 एक डरावनी कहानी जो आपको रूह तक कंपा देगी

पुरानी हवेली का रहस्य Part 1 एक डरावनी कहानी जो आपको रूह तक कंपा देगी

एक रहस्यमयी हवेली और उसके छिपे अतीत की खौफनाक कहानी। जानिए कैसे शिवांगी ने अपने दादा की विरासत से जुड़े इस रहस्य को सुलझाया। यह कहानी आपको अंत तक बांधे रखेगी।

शिवांगी अब 25 साल की है पर जब उसके पिता जी ने घर छोड़ा था तब वह सिर्फ़ 8 साल की थी पूरे 17 साल बाद वह अपने दादा दादी के पुश्तैनी जगह पर आई है ऐसा नहीं था कि वह दादा दादी से इतने दिनों में मिली नहीं थी। उन दिनों जब शिवांगी के पिता जी का नाराजगी ख़तम हुई तो उन्होंने दादा दादी को शहर में बुला लिया था।

पिता जी नाराज क्यों थे और उन्होंने घर क्यों छोड़ा शिवांगी को उस बारे में किसी कुछ नहीं बताया, अब शिवांगी इतने सालों में यहां आई है जब दादा दादी इस दुनिया में नहीं हैं और ये हवेली उन्होंने शिवांगी के नाम की है, इसलिए वह तो अपने दादा की विरासत को देखने राजस्थान के एक गांव में पहुंची हुई है गाव का नाम क्या है उससे बोला नहीं जाता बड़ा अजीब टेढ़ा मेढ़ा नाम है बचपन में भी वह नहीं बोल पाती थी और अब तो और मुश्किल है।

खैर गांव के लोगों से मिली तो वह कह रहे थे कि दादा जी के पुरानी हवेली है जो कि “शापित हवेली” है उधर मत जाओ। शिवांगी को इन कहानियों पर विश्वास नहीं होता। उसे केवल अपने दादा की विरासत और उस पर अधिकार चाहिए।

लेकिन जैसे ही वह हवेली पहुंचती है, वहां की सन्नाटे से उसकी रूह कांप उठती है। हवेली के टूटे-फूटे दरवाजे, दीवारों पर उगी बेलें और जाले सबकुछ जैसे कोई अनकहा डर पैदा कर रहे थे।

हवेली के अंदर जाते ही शिवांगी को अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। दीवारों पर उकेरे गए पुराने चित्र और छत पर लटके झूमर उसे एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं। खोजबीन के दौरान उसे एक विशाल, प्राचीन दर्पण मिलता है।

दर्पण पर उकेरे गए डिजाइन और हिंदी में लिखे कुछ श्लोक उसे हैरान कर देते हैं। जैसे ही वह दर्पण को छूती है, उसे महसूस होता है कि जैसे कोई ठंडी परछाई उसके आसपास घूम रही हो। उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं, और उसकी सांसें तेज हो जाती हैं।

पुरानी हवेली का रहस्य Part 1 एक डरावनी कहानी जो आपको रूह तक कंपा देगी

दर्पण से एक अदृश्य शक्ति प्रकट होती है। सफेद कपड़ों में लिपटी एक आत्मा, जो इस हवेली का पूर्व मालिक था, शिवांगी के सामने प्रकट होती है। उसकी आवाज गूंजती है, इस दर्पण में अतीत छिपा है। इसे खोलने की कीमत चुकानी होगी। लेकिन याद रखना, जो भी इसे खोलता है, उसका वर्तमान और भविष्य हमेशा के लिए बदल जाएगा।

शिवांगी डर और जिज्ञासा के बीच फंसी हुई है। उसे समझ नहीं आता कि वह क्या करे। लेकिन दर्पण का रहस्य जानने की इच्छा उसे आत्मा की चेतावनी नजरअंदाज करने पर मजबूर कर देती है।

शिवांगी आत्मा से पूछती है कि उसे क्या बलिदान देना होगा। आत्मा जवाब देती है कि उसे अपने जीवन के एक साल की स्मृति छोड़नी होगी। शिवांगी कुछ देर सोचती है और फिर सहमति जताती है।जैसे ही वह अपने जीवन के एक साल की यादें छोड़ती है, दर्पण चमकने लगता है। उसमें अतीत की घटनाएं दिखने लगती हैं।

उसे पता चलता है कि उसके दादा इस हवेली के असली मालिक थे और उन्होंने अपनी जान देकर इस दर्पण को छुपाया था।दर्पण उसे अपने दादा की आवाज सुनने का मौका देता है। वे कहते हैं:”यह दर्पण केवल अतीत को दिखाने के लिए नहीं है, बल्कि उसे सुधारने का मौका भी देता है। यह तुम्हारा कर्तव्य है कि तुम इतिहास की गलतियों को सही करो।

शिवांगी जैसे ही दर्पण के अंदर झांकती है, उसे एक ऐतिहासिक युद्ध का दृश्य दिखाई देता है। उसके दादा, एक राजा, अपनी प्रजा की रक्षा कर रहे थे। लेकिन यह दृश्य अचानक धुंधला हो जाता है, और हवेली में एक भयानक आवाज गूंजती है, अब तुम्हारा वर्तमान और अतीत हमेशा के लिए जुड़ चुके हैं।

तुम जो भी देखोगी, वह तुम्हारे जीवन का हिस्सा बन जाएगा।”शिवांगी चौंक जाती है। क्या उसने अतीत की गलती सुधारने का फैसला सही किया या उसने अपने भविष्य को खतरे में डाल दिया? यह सवाल उसके साथ रह जाता है।

—अगले भाग में: – क्या शिवांगी अपने दादा के रहस्यमयी अतीत को सुलझा पाएगी? या हवेली के रहस्य उसे हमेशा के लिए कैद कर लेंगे?

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