कालद्वीप की शक्ति को नष्ट करने से एक प्राचीन श्राप जाग गया। अरण्य, तक्षक, और विद्युत ने मृत लोक में प्रवेश कर इसे ठीक करने की कोशिश की। जानें बलिदान, साहस, और रहस्य की इस अद्भुत कहानी को।
शीर्षक – अमरता का श्राप
अरण्य, तक्षक, और विद्युत के साहसिक अभियान के बाद, गांव में शांति लौट आई। चरणवीर ताबीज़ सुरक्षित था, और अमरता का गहना नष्ट कर दिया गया था। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।
कालद्वीप के विनाश के साथ ही, एक प्राचीन श्राप जाग उठा। गहने को नष्ट करने से एक अदृश्य शक्ति क्रोधित हो चुकी थी। आर्यावर्त के अलग-अलग हिस्सों में अजीब घटनाएं होने लगीं—फसलें सूखने लगीं, लोग बीमार पड़ने लगे, और आसमान पर अंधेरा छा गया।
एक रात, अरण्य ने देखा कि ताबीज़ अपने आप चमक रहा था। ताबीज़ से एक धीमी आवाज आ रही थी, “कालद्वीप को बचाया नहीं गया, अब श्राप तुम्हारे संसार पर हावी होगा।”
अरण्य घबरा गया। उसने विद्युत और तक्षक को बुलाया। विद्युत ने ताबीज़ का निरीक्षण किया और पाया कि गहने को नष्ट करना एक भूल थी।
“गहने को नष्ट करने से द्वीप का संतुलन टूट गया। अब यह श्राप हमारी दुनिया को तबाह कर देगा। हमें इसे ठीक करना होगा,” विद्युत ने कहा।
अरण्य ने समझा कि उन्हें कालद्वीप की शक्ति को फिर से संतुलित करना होगा। लेकिन कालद्वीप तो समुद्र में डूब चुका था। वे तीनों एक बार फिर एक मिशन पर निकल पड़े—इस बार उन्हें कालद्वीप को खोजकर, उसकी ताकत को वापस स्थापित करना था।
ताबीज़ ने उन्हें एक ओर इशारा किया। वे ऋषि अद्वैत के आश्रम पहुंचे। ऋषि ने बताया कि कालद्वीप अब “अंधेरे लोक” में छुपा हुआ है, जहां केवल मृतात्माएं प्रवेश कर सकती हैं।
तुम्हें एक विशेष अनुष्ठान करना होगा, जिससे तुम कुछ समय के लिए मृत लोक में प्रवेश कर सको, ऋषि ने कहा।
अनुष्ठान के बाद, वे तीनों मृत लोक में पहुंचे। यहां सबकुछ अजीब था—चारों ओर घना कोहरा, पेड़ों पर उलटे लटके हुए जीव, और एक खामोशी जो डरावनी थी।
पहली बाधा में उनका सामना “अंधकार के रक्षक” से हुआ। यह एक विशाल, तीन सिरों वाला सर्प था, जिसकी आंखों से आग निकल रही थी।
अरण्य ने अपनी तलवार से उसका ध्यान भटकाया, तक्षक ने विषैले बाण मारे, और विद्युत ने अपने मंत्र से उसे जादू की जंजीरों में बांध दिया।
दूसरी बाधा एक झरने के रूप में आई, जो उनकी यादों को मिटा रहा था। झरने को पार करने के लिए, उन्हें अपनी सबसे गहरी यादों को त्यागना पड़ा।
अरण्य ने अपने पिता के अंतिम शब्दों की याद छोड़ी।
तक्षक ने अपनी पहली जीत की स्मृति त्यागी।
विद्युत ने अपने गुरु की शिक्षा से जुड़ी एक कीमती स्मृति खो दी।
मृत लोक के अंत में, उन्हें कालद्वीप का मलबा मिला। वहां, एक विशाल दरवाजा था, जिसके चारों ओर आत्माएं चक्कर काट रही थीं। दरवाजे को खोलने के लिए, उन्हें गहने का एक खोया हुआ अंश वापस लाना था, जिसे राक्षस “मृतनायक” ने छुपा रखा था।
मृतनायक एक अमर राक्षस था, जो गहने के टुकड़े का पहरेदार था। वह बहुत शक्तिशाली था और किसी भी हथियार या जादू से पराजित नहीं हो सकता था।
अरण्य ने महसूस किया कि यह केवल बलिदान से हराया जा सकता है। तक्षक ने कहा – मैं अपना जीवन त्यागने के लिए तैयार हूं।
लेकिन अरण्य ने उसे रोका। यह मेरी जिम्मेदारी है। मैं यह बलिदान दूंगा।
अरण्य ने अपना जीवन देकर राक्षस को हराया। गहने का टुकड़ा उन्हें मिल गया।
विद्युत और तक्षक ने गहने के टुकड़े को जोड़कर कालद्वीप की शक्ति को पुनः स्थापित किया। द्वीप मृत लोक से बाहर निकलकर फिर से समुद्र के बीचों-बीच उभर आया।
कालद्वीप की शक्ति ने अरण्य के बलिदान को स्वीकार किया और उसे एक नए रूप में जीवन दिया। अब वह कालद्वीप का रक्षक बन गया।
गांव में जीवन फिर से सामान्य हो गया। लेकिन अरण्य, कालद्वीप का हिस्सा बनकर, हमेशा के लिए अपने दोस्तों से अलग हो गया।
सच्चे नायक वे हैं जो अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। बलिदान से बड़ी कोई शक्ति नहीं।
क्या कालद्वीप फिर से शांत रहेगा? या उसकी शक्ति किसी और के लालच का शिकार बनेगी? यह एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है।