यह प्रेरक कहानी “अंधविश्वास से सबक” एक नन्हे बच्चे अनु की है, जो अपने दोस्त जिम्मी की अंधविश्वासी बातों में आकर गिलहरी की पूंछ पकड़ने की कोशिश करता है, ताकि वह अपनी कक्षा में प्रथम आ सके। यह प्रयास उसे चोटिल कर देता है, लेकिन उसके पिता उसे सिखाते हैं कि अंधविश्वास से अधिक मेहनत और लगन का महत्व है। कहानी हमें सिखाती है कि कठिन परिश्रम और सही दृष्टिकोण से ही सफलता पाई जा सकती है। यह रोचक और शिक्षाप्रद कहानी बच्चों और बड़ों के लिए समान रूप से प्रेरणादायक है।
अंधविश्वास
अरे यह क्या हो गया? अनु की बुरी हालत देख कर सारा परिवार बाहर की ओर भागा। उसे लाने वाले सज्जन ने कहा, सड़क पर गिर जाने से यह चोटें आई हैं। जल्दी से डाक्टर को बुलवा लीजिए।
मैं अभी डाक्टर को लेकर आता हूं। कह कर अनु के दादाजी डाक्टर को लेने चले गए। आनन-फानन में डाक्टर आया। अनु की जांच करने के बाद डाक्टर बोला, परेशान होने की कोई बात नहीं है, बस मामूली सी चोट लगी है। मैं अभी मरहम-पट्टी किए देता हूं।
मरहम-पट्टी करने के बाद डाक्टर चला गया तो पिताजी ने अनु से पूछा, बेटे, यह चोटें कैसे आई?
पिताजी वो… अनु के बोलने से पहले अनु का दोस्त अक्षय बोल पड़ा, चाचाजी, बात यह है कि कुछ दिनों से अनु जिम्मी की बातों में आ कर यह विश्वास करने लगा था कि गिलहरी की पूंछ पकड़ने से कक्षा में प्रथम आते हैं। और इसी कारण यह आज सड़क पर गिलहरी के पीछे दौड़ रहा था। मैं इसे समझाने जा रहा था कि यह हादसा हो गया।
हूं… तो यह बात है. पिताजी ने अनु से कहा, देखो बेटा, यह सब अंधविश्वास की बातें हैं।
तो क्या इनका कोई मतलब नहीं है? अनु रोआंसा हो कर बोला।
होता है बेटा, इन बातों का अर्थ होता है। पिताजी ने उसे समझाते हुए कहा, “देखो, बात यह है कि गिलहरी को पकड़ना एक कठिन कार्य है। उसी तरह कक्षा में प्रथम आना भी कठिन कार्य है। हमें कक्षा में प्रथम आने के लिए उतनी ही मेहनत करनी पड़ती है, जितनी गिलहरी को पकड़ने में करनी पड़ती है।
अच्छा, तो यह बात है। अब मैं कभी ऐसा नहीं करूंगा और खूब पढ़ाई करूंगा ताकि कक्षा में प्रथम आ सकूं। अनु को अपने किए पर पछतावा हो रहा था।
The End